मेकिंग चार्ज पर राहत नहीं मिली
GST: सरकार द्वारा घोषित जीएसटी(GST) सुधार 2.0 से सराफा कारोबारियों ने उम्मीद की थी कि उन्हें दोहरे कराधान की समस्या से छुटकारा मिलेगा, मगर फैसलों में मेकिंग चार्ज पर कोई राहत नहीं दी गई। इससे व्यापारियों में निराशा और असंतोष फैल गया है। आभूषण(Jewellery) कारोबारियों का कहना है कि दोहरे कराधान के कारण उनकी बिक्री पर सीधा असर पड़ रहा है और उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है।
मेकिंग चार्ज पर जीएसटी और कारोबारियों की मांग
वर्तमान में आभूषण खरीदने पर सोने(Gold) की कीमत पर 3% जीएसटी और मेकिंग चार्ज पर 5% जीएसटी लगाया जाता है। यह टैक्स ऑन टैक्स की स्थिति पैदा करता है। उदाहरण के लिए, यदि ग्राहक ₹1 लाख का सोना खरीदता है और ₹10,000 मेकिंग चार्ज देता है, तो उसे कुल ₹3,500 जीएसटी चुकाना पड़ता है।
व्यापारियों का तर्क है कि मेकिंग चार्ज कारीगर की कला और श्रम का मूल्य है, न कि वस्तु की कीमत। इस पर 5% जीएसटी(GST) लगाना कारीगरों के हितों के खिलाफ है। कारोबारियों की लंबे समय से मांग रही है कि मेकिंग चार्ज को जीएसटी से बाहर रखा जाए या इसकी दर घटाकर उपभोक्ताओं और कारीगरों दोनों को राहत दी जाए।
असंगठित क्षेत्र की ओर झुकाव और प्रभाव
दोहरे कराधान और ऊंची दरों के कारण कई छोटे व्यापारी असंगठित क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं। वे बिना बिल के बिक्री करते हैं या कर बचाने के अन्य तरीके अपनाते हैं। इससे न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान होता है बल्कि ईमानदारी से कारोबार करने वालों पर भी दबाव बढ़ जाता है।
इसके अतिरिक्त, असंगठित क्षेत्र में वृद्धि से सोने की गुणवत्ता और शुद्धता पर भी प्रश्न उठने लगे हैं। उपभोक्ताओं को असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है, जिससे उनका विश्वास कमजोर पड़ता है। परिणामस्वरूप, बाजार की पारदर्शिता पर असर पड़ता है और प्रतिस्पर्धा असमान हो जाती है।
उपभोग की वस्तुओं में राहत और बाजार की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही सोने और चांदी पर जीएसटी की दरें अपरिवर्तित हैं, लेकिन अन्य वस्तुओं पर दरों में कमी से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। कार से लेकर दवाई और आटे से लेकर होटल के कमरे तक पर कम दरों का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ा है।
त्योहारी सीजन में कीमतों में आई कमी ने खरीदारी बढ़ाई है, जिससे सोना-चांदी की बिक्री में भी अप्रत्यक्ष रूप से सुधार की संभावना है। हालांकि, सराफा व्यापारियों को उम्मीद थी कि मेकिंग चार्ज पर कम से कम 0.5% से 1% की कटौती होगी, जो फिलहाल पूरी नहीं हो सकी।
दोहरे कराधान की समस्या उपभोक्ताओं को कैसे प्रभावित करती है?
ग्राहकों को एक ही आभूषण पर दो बार जीएसटी देना पड़ता है। सोने की कीमत पर 3% और मेकिंग चार्ज पर 5% कर लगने से खरीदारी महंगी हो जाती है, जिससे आम उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है।
छोटे कारोबारियों के असंगठित क्षेत्र की ओर जाने का क्या असर है?
जब व्यापारी बिना बिल या कर बचाने के तरीकों से काम करते हैं तो सरकार का राजस्व घटता है। साथ ही, गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगने से उपभोक्ताओं का भरोसा कमजोर होता है और ईमानदार कारोबारियों को भी प्रतिस्पर्धा में कठिनाई होती है।
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