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GST: जीएसटी बदलाव पर कंपनियों को राहत

Dhanarekha
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GST: जीएसटी बदलाव पर कंपनियों को राहत

पुराने स्टॉक पर एमआरपी बदलने की अनुमति

नई दिल्ली: नई दिल्ली में सरकार ने जीएसटी(GST) दरों में हुए बड़े बदलाव के बाद कंपनियों को महत्वपूर्ण छूट दी है। अब कंपनियां अपने पुराने पैक्ड स्टॉक पर एमआरपी(MRP) को नई टैक्स दरों के हिसाब से बदल सकती हैं। इस कदम से न केवल पैकेजिंग का कचरा घटेगा, बल्कि कंपनियों के लिए स्टॉक मैनेजमेंट आसान होगा। उपभोक्ता मामलों का विभाग इसे लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स, 2011 के तहत लागू कर रहा है

जीएसटी दरों में बड़े बदलाव और असर

जीएसटी(GST) में अब ज्यादातर सामान 5% और 18% की दरों में शामिल कर दिए गए हैं। पहले 12% और 28% वाले सामानों को भी कम श्रेणी में लाया गया है। जरूरत की वस्तुओं को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त रखा गया है, जबकि लग्जरी और ‘सिन गुड्स’ पर 40% टैक्स जारी रहेगा। इस बदलाव से रोजमर्रा के सामान जैसे हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, टॉयलेट सोप और शेविंग क्रीम पर जीएसटी 18% से घटकर 5% हो गया है। इसी तरह, बटर, घी, चीज, नमकीन और भुजिया पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

ग्राहकों(Customers) को इसका सीधा फायदा सस्ते सामान के रूप में मिलेगा। हालांकि कंपनियों और रिटेलर्स को पुराने स्टॉक को मैनेज करने और समय पर नया स्टॉक बाजार में उतारने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

कंपनियों के लिए नई एमआरपी गाइडलाइन

कंपनियां अब पुराने स्टॉक पर नई एमआरपी स्टिकर, स्टैंपिंग या ऑनलाइन प्रिंटिंग के जरिए दर्ज कर सकती हैं। हालांकि, पुरानी कीमत भी पैकेज पर दिखाई देनी चाहिए। यह सुविधा 31 दिसंबर 2025 तक या स्टॉक खत्म होने तक उपलब्ध रहेगी। नए एमआरपी में केवल जीएसटी की बढ़ोतरी या कटौती को ही जोड़ा जा सकता है।

सरकार ने कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अखबारों में कम से कम दो विज्ञापन दें और डीलरों के साथ-साथ केंद्र व राज्य के लीगल मेट्रोलॉजी अधिकारियों को भी नए बदलाव की जानकारी दें। यदि कंपनियां टैक्स कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचातीं, तो इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गलत व्यापार माना जाएगा।

सरकार ने कंपनियों को पुराने स्टॉक पर एमआरपी बदलने की छूट क्यों दी?

जीएसटी(GST) दरों में बड़े बदलाव के बाद कंपनियों को स्टॉक मैनेजमेंट में परेशानी हो सकती थी। इस वजह से सरकार ने पैकेजिंग का कचरा रोकने और कारोबार में सुगमता लाने के लिए एमआरपी बदलने की अनुमति दी।

अगर कंपनियां टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाएंगी तो क्या होगा?

ऐसे मामलों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत गलत व्यापार माना जाएगा। पहली गलती पर 10 लाख रुपये तक और बार-बार गलती करने पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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