GST: पॉलिसीधारकों के लिए जरूरी अलर्ट; 22 सितंबर से पहले भरें प्रीमियम

By Vinay | Updated: September 12, 2025 • 9:49 AM

बीमा पॉलिसी से जुड़े करोड़ों ग्राहकों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। स्वास्थ्य (Helth) और जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को सलाह दी गई है कि वे 22 सितंबर से पहले अपने प्रीमियम भुगतान और रिन्यूअल प्रक्रिया को ध्यान से पूरा करें। इसका कारण है कि 22 सितंबर 2025 से बीमा प्रीमियम पर जीएसटी (GST) में छूट लागू होने वाली है। यह बदलाव ग्राहकों को सीधी राहत देगा और पॉलिसी को सस्ता बनाएगा। लेकिन अगर पॉलिसीधारक समय रहते सतर्क नहीं हुए तो इस लाभ से वंचित भी हो सकते हैं

क्यों है 22 सितंबर खास?

सरकार ने 22 सितंबर से स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट देने की घोषणा की है। अब तक पॉलिसी प्रीमियम पर 18% जीएसटी वसूला जाता था, जिससे बीमा की लागत बढ़ जाती थी। नई व्यवस्था में यह टैक्स हटने से ग्राहकों का बोझ काफी कम हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 50,000 रुपये वार्षिक प्रीमियम पर अभी 9,000 रुपये अतिरिक्त जीएसटी लगता है, लेकिन 22 सितंबर के बाद यह खर्च पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

समय से पहले इनवॉइस का असर

हालांकि यहाँ एक पेच है। अगर किसी ग्राहक ने 21 सितंबर या उससे पहले प्रीमियम भर दिया और बीमा कंपनी ने इनवॉइस भी जारी कर दिया, तो जीएसटी छूट का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इनवॉइस पुराने टैक्स नियमों के आधार पर तैयार किया जाएगा। यानी ग्राहक चाहकर भी जीएसटी बचत का फायदा नहीं उठा पाएगा।

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियों से संपर्क करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनवॉइस 22 सितंबर के बाद ही जारी हो। इससे उन्हें जीएसटी छूट का लाभ मिल सकेगा। यदि पॉलिसीधारक 22 सितंबर के बाद प्रीमियम भुगतान करेंगे, तो वे स्वतः इस लाभ के दायरे में आ जाएंगे।

कंपनियों के लिए भी चुनौती

बीमा कंपनियों के सामने भी इस बदलाव को लागू करने की चुनौती है। उन्हें अपने सिस्टम और इनवॉइस प्रक्रिया को अपडेट करना होगा ताकि ग्राहकों को सही समय पर लाभ मिल सके। वहीं, जिन ग्राहकों की पॉलिसी रिन्यूअल डेट 22 सितंबर से पहले है, उनके लिए विशेष प्रावधान करने पड़ सकते हैं।

उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने का फैसला लंबे समय से ग्राहकों की मांग रहा है। अब यह कदम उठने के बाद स्वास्थ्य और जीवन बीमा अधिक सुलभ और किफायती हो जाएगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे लोग बीमा को अपनाने के लिए और अधिक प्रेरित होंगे।

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