Breaking News GST: बीमा प्रीमियम पर जीएसटी शून्य, आईटीसी बंद

By Dhanarekha | Updated: September 17, 2025 • 10:09 AM

२२ सितंबर से लागू होंगे नए नियम

नई दिल्ली: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने घोषणा की है कि २२ सितंबर, २०२५ से व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा(Insurance) पॉलिसियों पर चुकाए जाने वाले प्रीमियम को जीएसटी(GST) से पूरी तरह छूट मिल जाएगी। अभी तक इन पॉलिसियों पर १८ प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता था। हालाँकि, इस बदलाव के साथ बीमा कंपनियों को कमीशन और ब्रोकरेज जैसे इनपुट खर्चों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट(ITC) का लाभ नहीं मिलेगा। सीबीआईसी ने स्पष्ट किया कि इन नियमों से उपभोक्ताओं को सीधी राहत तो मिलेगी लेकिन कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है

छूट के दायरे और नई शर्तें

जीएसटी(GST) काउंसिल ने ३ सितंबर की बैठक में यह निर्णय लिया कि व्यक्तिगत बीमा पॉलिसियों पर प्रीमियम अब करमुक्त होगा। इसके तहत पुनर्बीमा सेवाओं को भी छूट दी जाएगी, लेकिन कमीशन और ब्रोकरेज जैसे अन्य खर्चों पर आईटीसी पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। इसका असर यह होगा कि कंपनियां इनपुट खर्चों को ग्राहकों पर स्थानांतरित नहीं कर पाएंगी।

बीमा कंपनियों का कहना है कि यह कदम बीमा उद्योग की लागत बढ़ा सकता है। वे अब तक कमीशन और ब्रोकरेज पर चुकाए गए कर को समायोजित करती थीं, लेकिन नए नियमों के बाद यह खर्च सीधे कंपनियों को उठाना होगा। उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर यह है कि प्रीमियम पर जीएसटी हटने से बीमा की लागत कम होगी।

होटल और अन्य सेवाओं पर भी असर

सीबीआईसी ने यह भी स्पष्ट किया कि ७,५०० रुपये प्रतिदिन तक किराये वाले होटल रूम पर आईटीसी का लाभ नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि ऐसे होटल केवल ५ प्रतिशत जीएसटी(GST) दर के अंतर्गत आते हैं और इसमें आईटीसी की अनुमति नहीं है। इसी प्रकार, सौंदर्य और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी बिना आईटीसी वाले ५ प्रतिशत श्रेणी में रखा गया है।

इस श्रेणी के सेवा प्रदाताओं के पास १८ प्रतिशत जीएसटी दर और आईटीसी लेने का विकल्प उपलब्ध नहीं होगा। परिणामस्वरूप, ग्राहकों को कुछ सेवाओं की दरों में स्थिरता दिखेगी, जबकि कंपनियों की लागत का दबाव अलग से बना रहेगा। इन सभी बदलावों का उद्देश्य कर ढाँचे को सरल बनाना और पारदर्शिता बढ़ाना बताया जा रहा है।

बीमा प्रीमियम से जीएसटी हटने से ग्राहकों को क्या फायदा होगा?

प्रीमियम पर १८ प्रतिशत कर हटने से पॉलिसियों की कुल लागत घटेगी। इसका सीधा असर यह होगा कि अधिक लोग स्वास्थ्य और जीवन बीमा खरीदने के लिए प्रेरित होंगे और कवरेज का दायरा विस्तृत होगा।

बीमा कंपनियों पर आईटीसी हटने का क्या असर पड़ेगा?

कमीशन और ब्रोकरेज जैसे खर्च अब टैक्स क्रेडिट के अंतर्गत नहीं आएंगे। इस वजह से कंपनियों की लागत बढ़ेगी और संभव है कि वे नए उत्पादों या पॉलिसी संरचना में बदलाव करें ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।

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