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Breaking News: H1-B: ट्रंप का वीज़ा बम, भारतीय कंपनियां परेशान

Dhanarekha
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Breaking News: H1-B: ट्रंप का वीज़ा बम, भारतीय कंपनियां परेशान

वीज़ा फीस से बढ़ा आईटी इंडस्ट्री का बोझ

नई दिल्‍ली: अमेरिका(USA) में एच1-बी(H1-B) वीज़ा फीस में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) के इस कदम से भारत की आईटी कंपनियों पर करीब 4857 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। नई वीज़ा(H1-B) फीस अब 100,000 डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये तय की गई है, जो पहले से 10 गुना अधिक है। इस फैसले से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी और मुनाफा प्रभावित हो सकता है

आईटी कंपनियों की रणनीति पर असर

नई नीति से भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिका में कर्मचारियों की संख्या कम करनी पड़ सकती है। जानकारों के अनुसार, कंपनियां केवल जरूरी स्किल वाले कर्मचारियों को ही वहां तैनात करेंगी। साथ ही, सबकॉन्ट्रैक्टिंग और लोकल भर्ती को बढ़ावा देना पड़ेगा। इसका असर प्रोजेक्ट की गति और लागत दोनों पर पड़ेगा।
एवरेस्ट ग्रुप के अक्षत वैद्य का कहना है कि कंपनियों को मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह नियम केवल एक वर्ष के लिए हो सकता है, पर तब तक नुकसान होना तय है।

मुनाफे में गिरावट की आशंका

विश्लेषकों का अनुमान है कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, एचसीएल टेक और विप्रो जैसी कंपनियों के मुनाफे में 7–15% तक की कमी आ सकती है। उदाहरण के लिए, केवल टीसीएस को ही वीज़ा नवीनीकरण पर प्रति आवेदन लगभग 90,000 डॉलर अतिरिक्त खर्च करना होगा। इससे वित्त वर्ष 2027 तक मुनाफे में 7–8% की गिरावट संभव है।

मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां पहले से ही लोकलाइजेशन और सबकॉन्ट्रैक्टिंग पर काम कर रही हैं, इसलिए वे बदलाव अपनाने की स्थिति में हैं। लेकिन, डिमांड में कमी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार से चुनौतियां और बढ़ेंगी।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर

सीआईईएल एचआर के आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि भारतीय कंपनियां अतिरिक्त लागत ग्राहकों से वसूलने की कोशिश करेंगी। इससे रिमोट कॉन्ट्रैक्टिंग और ऑफशोर डिलीवरी जैसे नए मॉडल बढ़ सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे प्रोजेक्ट समय पर पूरे होने में कठिनाई होगी।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि एच1-बी वीज़ा सिस्टम को अक्सर “इंडिया आईटी वीज़ा चैनल” कहा जाता है, जबकि सबसे अधिक आवेदन गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी अमेरिकी कंपनियां करती हैं। ऐसे में, लंबे समय तक यह पॉलिसी अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।

अमेरिका में बढ़ी वीज़ा फीस से भारतीय कंपनियों को क्या सबसे बड़ा नुकसान होगा?

भारतीय आईटी कंपनियों को प्रति वीज़ा आवेदन पहले से 10 गुना अधिक खर्च करना होगा। इससे उनकी कुल लागत बढ़ेगी और मुनाफा 7–15% तक घट सकता है। कंपनियों को मजबूरन सबकॉन्ट्रैक्टिंग और ऑफशोर मॉडल अपनाने होंगे।

क्या यह फैसला स्थायी रहेगा या अस्थायी?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम अस्थायी हो सकता है और संभव है कि केवल एक वर्ष तक लागू रहे। हालांकि, जब तक यह चलता है, तब तक कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा।

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