कांग्रेस सरकार के फैसले को ‘आपराधिक लापरवाही’ करार दिया
सिद्दीपेट: पूर्व मंत्री टी हरीश राव (Harish Rao) ने रविवार को येल्लमपल्ली जलाशय से गोदावरी नदी (Godavari river) का पानी बंगाल की खाड़ी में छोड़ने के कांग्रेस सरकार के फैसले को ‘आपराधिक लापरवाही’ करार दिया। पत्रकारों से बात करते हुए हरीश राव ने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और बीआरएस को बदनाम करने के लिए जानबूझकर कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (केएलआईपी) के तहत जलाशयों में पानी नहीं उठा रही है। रविवार सुबह कदम जलाशय में डेढ़ लाख क्यूसेक से ज़्यादा पानी आने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार नंदीमेदरम पंप हाउस चलाकर येल्लमपल्ली से रोज़ाना 2 टीएमसी फीट पानी उठा सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि येल्लमपल्ली से मिड-मनैर तक पानी उठाने के लिए सात मोटरें उपलब्ध थीं, लेकिन कांग्रेस सरकार सिर्फ़ तीन ही चला रही थी।
वे चाहें तो बीआरएस नेताओं को सज़ा दे सकते हैं : हरीश
हरीश राव ने सरकार से किसानों की यासंगी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मिड-मनैर से अन्नपूर्णा, रंगनायक सागर, मल्लन्ना सागर, कोंडापोचम्मा सागर और बसवापुर जलाशयों में कम से कम एक टीएमसी फीट पानी पंप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण वनकालम के दौरान खेती का रकबा पहले ही कम हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘वे चाहें तो बीआरएस नेताओं को सज़ा दे सकते हैं, लेकिन किसानों को नहीं।’ उन्होंने मांग की कि सरकार एसआरएसपी की बाढ़ नहर के गेट खोलकर पानी को मिड-मानैर की ओर मोड़ दे। उन्होंने बताया कि बिजली आपूर्ति कोई बाधा नहीं है क्योंकि कृष्णा नदी पर सभी संयंत्र चालू हैं।
तो वहां बोल देंगे धावा
आंदोलन की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, “जब तक सरकार पंप चालू नहीं करती, बीआरएस हज़ारों किसानों को लामबंद करके उन्हें चालू करने के लिए वहाँ धावा बोल देगी।” उन्होंने मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी पर पानी पंपिंग में देरी करके कालेश्वरम को असफल बताने की कोशिश करने का आरोप लगाया। पूर्व मंत्री ने कहा कि उन्होंने एक हफ़्ते पहले सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी को पत्र लिखकर गोदावरी नदी में आईएमडी की बाढ़ की भविष्यवाणी से अवगत कराया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा, ‘केएलआईपी के सभी जलाशय पूरी तरह सूख चुके हैं।’ उन्होंने सरकार पर कृष्णा नदी के पानी का दोहन न करके उसे बर्बाद करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नलगोंडा ज़िले में अलीमिनेटी माधव रेड्डी परियोजना और कलवाकुर्ती लिफ्ट सिंचाई परियोजना के तहत कई सिंचाई टैंक खाली पड़े हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘पिछली गर्मियों में मोटरें चालू करने के बावजूद, वे देवदुला चरण-3 के तहत भी पानी उपलब्ध कराने में विफल रहे।’
गोदावरी नदी की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार गोदावरी नदी का उद्गम भगवान ब्रह्मा की तपस्या और ऋषि गौतम के श्राप से जुड़ा है। माना जाता है कि ऋषि गौतम के आह्वान पर गंगा जी का एक भाग धरती पर आया, जिसे गोदावरी नाम मिला। यह नदी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
गोदावरी में सबसे अधिक प्रसिद्ध क्या है?
धार्मिक महत्त्व और प्राकृतिक संसाधनों के कारण गोदावरी में नासिक क्षेत्र के घाट, त्र्यंबकेश्वर मंदिर और पुष्कर मेला अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा नदी तट पर होने वाले कुम्भ का विशेष महत्व है। यह नदी दक्षिण भारत की गंगा कहलाती है और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी है।
गोदावरी नदी कहाँ से निकलती है और कितनी लंबाई तक बहती है?
त्र्यंबक पहाड़ियों, नासिक (महाराष्ट्र) से गोदावरी नदी का उद्गम होता है। लगभग 1,465 किलोमीटर लंबी यह नदी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है। इसे दक्षिण भारत की सबसे लंबी और महत्वपूर्ण नदी माना जाता है।
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