Trump Policy: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में गिनी जाती है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दूसरे कार्यकाल की आरंभ के साथ ही इस यूनिवर्सिटी पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने न सिर्फ हार्वर्ड को मिलने वाली 2.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोक दी, बल्कि विदेशी विद्यार्थियों के एडमिशन पर भी सवाल उठाए।
विदेशी छात्रों की बढ़ी चिंता
Trump Policy: हार्वर्ड में पढ़ने वाले कई विदेशी विद्यार्थि अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कजाकिस्तान के विद्यार्थि सुल्तानाली नूरमानुली ने एक न्यूज़ चैनल को बताया कि ये कदम उनके लिए सज़ा जैसे हैं।
उन्होंने कहा, “हममें से कई विद्यार्थि राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे, फिर भी हमें दंडित किया जा रहा है।”

हार्वर्ड प्रशासन की प्रतिक्रिया
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिकी सरकार के इस कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने कहा, “यह कदम हार्वर्ड के शैक्षणिक मिशन और देश के हितों के विरुद्ध है।” हार्वर्ड ने अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के समर्थन में बयान जारी कर कहा कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।
वीज़ा प्रतिबंध और उसके परिणाम
ट्रंप प्रशासन द्वारा वीज़ा नीतियों में बदलाव से विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है। सुल्तानाली ने बताया कि वह H1B वीज़ा के बिना काम करने के लिए OPT एक्सटेंशन की योजना बना रहे थे, लेकिन अगर विद्यार्थि वीज़ा रद्द हो गया, तो यह योजना भी फेल हो सकती है।
हार्वर्ड की प्रतिष्ठा पर असर?
कई छात्रों को अब भी हार्वर्ड की प्रतिष्ठा पर भरोसा है, लेकिन उन्हें डर है कि इन नीतियों के चलते भविष्य में नए विदेशी विद्यार्थि यहां आने से हिचकेंगे। हार्वर्ड का अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थि अनुपात अभी सिर्फ 10-15% है, जिसे और गिरने का खतरा है।