2024 में 9,608 और 2023 में 6,506 नमूने किए गए एकत्र
आदिलाबाद। आदिलाबाद (Adilabad) जिले में वेक्टर जनित रोगों (वीबीडी), विशेष रूप से डेंगू (dengue), की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे निवासियों में चिंता बढ़ रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक वीबीडी परीक्षण के लिए 929 रक्त नमूने एकत्र किए गए हैं, जबकि 2024 में 9,608 और 2023 में 6,506 नमूने एकत्र किए गए। इनमें से इस वर्ष डेंगू के 24 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी) में इनमें से 13 मामले सामने आए, जबकि आदिवासी बहुल ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में 10 मामले सामने आए। 2024 में, ज़िले में डेंगू के कुल 366 और मलेरिया के दो मामले दर्ज किए गए, जो 2023 में 108 डेंगू और मलेरिया के दो मामलों की तुलना में तीन गुना से भी ज़्यादा है। चिलकुरी लक्ष्मीनगर, हमलावाड़ा, खुर्शीद नगर, पुतलीबावली, शांतिनगर और अंकोली जैसे शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही पिछले साल डेंगू के 231 मामले दर्ज किए गए थे।
2024 में डेंगू के 104 मामले दर्ज किए
आदिवासी क्षेत्रों में पीएचसी ने 2024 में डेंगू के 104 मामले दर्ज किए, जो 2023 में 36 से अधिक है। ये केंद्र बजरहथनूर, भीमपुर, दंथनपल्ली, गाडीगुडा, गुडीहथनूर, हसनपुर, इंदरवेल्ली, इचोदा, झरी, नारनूर, नेराडीगोंडा, नरसापुर (टी), पित्तबोंगारम, श्यामपुर और सैयदपुर जैसे गांवों में स्थित हैं। इन गांवों में आदिवासी समुदाय रहते हैं, जिनमें राज गोंड, कोलम और अंध शामिल हैं। निवासियों ने बढ़ते खतरे और किफायती इलाज की कमी पर चिंता व्यक्त की है। दूरदराज के कई गांवों के लोगों ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले महंगे दामों के कारण उन्हें ग्रामीण चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से तुरंत निवारक उपाय शुरू करने का आग्रह किया है।
बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे
जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेंद्र राठौड़ ने बताया कि बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। समय पर कार्रवाई के लिए जिला, मंडल और ग्राम स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया दल (आरआरटी) गठित किए गए हैं। वेक्टर और जल जनित बीमारियों की निरंतर निगरानी के लिए एक 24×7 महामारी नियंत्रण कक्ष (फ़ोन: 7670904306) स्थापित किया गया है। जन जागरूकता अभियान के तहत, पाँच स्थानीय भाषाओं में ऑडियो संदेश और एक वीडियो संदेश तैयार किया गया है। इन्हें व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए पंचायत राज और नगर प्रशासन विभागों के साथ साझा किया गया है। आदिलाबाद शहरी क्षेत्र में डेंगू की रोकथाम के लिए एक कार्य योजना भी तैयार की गई है, जिसमें नगर निगम विभाग, एमईपीएमए और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी शामिल हैं।

आदिलाबाद का पुराना नाम क्या था?
इसका पुराना नाम “एदुलापुरम” था, जो बाद में बीजापुर सल्तनत के शासक मोहम्मद आदिल शाह के नाम पर आदिलाबाद रखा गया। यह नाम मुग़ल काल के दौरान प्रचलित हुआ और तब से यही आधिकारिक नाम बना हुआ है।
आदिलाबाद क्यों प्रसिद्ध है?
यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, वन संपदा और कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र गोन्ड जनजाति संस्कृति और कागज़नगर पेपर इंडस्ट्री के कारण भी जाना जाता है। इसके अलावा, किंतला और कव्वाल जलप्रपात भी इसे खास बनाते हैं।
आदिलाबाद जिले का इतिहास क्या है?
इसका इतिहास सातवाहन, काकतीय, बहमनी, बीजापुर और आसफ जाही शासन से जुड़ा है। यह क्षेत्र लंबे समय तक निजाम के अधीन रहा। 1905 में इसे एक स्वतंत्र जिले का दर्जा मिला। जनजातीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर इसे विशिष्ट बनाती है।
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