वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी।
इस महीने की शुरुआत में पारित किए गए इस नए कानून को लेकर दर्जनों याचिकाएं दायर की गयी हैं। उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने आश्वासन दिया है कि इन सभी याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।
प्रमुख याचिकाकर्ताओं में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, अभिनेता से राजनेता बने तमिलगा वेत्त्रि कज़गम अध्यक्ष विजय और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी शामिल हैं।
इन याचिकाओं में कहा गया है कि संशोधन से वक्फ संस्थाओं की स्वायत्तता कमजोर होती है। सरकार को मुस्लिम धर्मस्थलों व संपत्तियों पर अत्यधिक नियंत्रण मिल जाता है।
कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने भी कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर दी है और उसे नंबर मिल गया है।
इन सभी याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम की उन धाराओं को रद्द करने की मांग की गई है । कहा गया हैकि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन) का उल्लंघन करती हैं।
इन याचिकाओं के जवाब में कई राज्य और पक्ष इस कानून के समर्थन में सामने आए हैं।
राजस्थान, असम और महाराष्ट्र सरकारों ने अदालत में आवेदन दायर कर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है। उन्होंने इसे प्रशासनिक पारदर्शिता और नियंत्रण के लिए जरूरी बताया है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले के मुख्य याचिकाकर्ता और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने भी इस संशोधित कानून का समर्थन किया है।
इसी तरह, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में एक और प्रमुख अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने भी बताया कि वह इस कानून को चुनौती देने के लिए नई याचिका दायर कर रहे हैं।