बेरोजगारी बढ़ने का मंडराया खतरा
कोलकाता। भारत सरकार की तरफ से बताया गया है कि पश्चिम बंगाल से काफी सारी कंपनियां अपना ऑफिस बंद करके दूसरे राज्यों की ओर रुख कर रही हैं। इसे एक तरह का कॉरपोरेट पलायन बताया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में बीते पांच वर्षों में 2,200 से अधिक कंपनियां ने राज्य छोड़ दिया है। आज के वक्त में देखें तो भारत ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में लगा है। तो ऐसे में राज्यों के अंदर कंपटीशन भी बना हुआ है कि कौन कितनी ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराएगा। जैसे हाल ही में आपने महाराष्ट्र, गुजरात के बीच की प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी। किसके पास सेमीकंडक्टर कंपनियां आएंगी। किसके पास रिफाइनरी की इंडस्ट्री आएगी। ऐसे में किसी राज्य से कंपनियों पलायन होता है तो ये अपने आप में काफी बड़ी बात हो जाती है। पहले पूरा मामला क्या है ये आपको बताते हैं।
संसद में सामने आया चिंताजनक आंकड़ा
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। कॉरपोरेट मामलों के कनिष्ठ मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने संसद को बताया कि पिछले पांच वर्षों में 2,200 से अधिक कंपनियों ने अपने पंजीकृत कार्यालय पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित किए हैं, जिनमें से कम से कम 39 सूचीबद्ध संस्थाएं हैं। राज्यसभा में भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य के सवालों के जवाब में मल्होत्रा के जवाब ने तृणमूल कांग्रेस को सांसद के सवालों को पक्षपाती और भ्रामक करार दिया और भाजपा पर पूरी तरह से बंगाल विरोधी होने का आरोप लगाया।
भाजपा का एकमात्र उद्देश्य बंगाल को खराब छवि में दिखाना : गोखले
टीएमसी के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता साकेत गोखले ने कहा कि यह सवाल पक्षपातपूर्ण और भ्रामक था। भाजपा का एकमात्र उद्देश्य बंगाल को खराब छवि में दिखाना था। पार्टी ने हमेशा ऐसा किया है। इससे उसे एक तरह का विकृत आनंद मिलता है। गोखले ने सवाल किया कि भाजपा ने उसी अवधि में नए पंजीकरणों की संख्या के बारे में क्यों नहीं पूछा। अगर वे पूरी सच्चाई जानना चाहते थे और पूरी तस्वीर पाने में रुचि रखते थे, तो उन्हें नए पंजीकरणों की संख्या भी पूछनी चाहिए थी।
इन कारणों से बंगाल छोड़ रही कंपनियां
कंपनियों ने अपने मुख्यालयों को स्थानांतरित करने के लिए कई कारण बताए हैं, जिनमें प्रशासनिक और परिचालन सुविधा से लेकर लागत दक्षता और बेहतर प्रबंधकीय नियंत्रण तक शामिल हैं। हालांकि, यह निर्दिष्ट नहीं किया गया कि फर्म कहां स्थानांतरित हुईं। कंपनी अधिनियम कंपनियों को अपने पंजीकृत कार्यालयों को स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। मंत्री ने कहा कि 2,227 पंजीकृत कार्यालयों के बाहर निकलने में विनिर्माण, वित्त, कमीशन एजेंसियां और व्यापार जैसे विविध क्षेत्र शामिल हैं।
किस राज्यों की ओर किया जा रहा रुख
1970 के दशक तक पंजीकृत कंपनियों की संख्या के मामले में बंगाल महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर था, लेकिन 2021 तक यह आठवें स्थान पर खिसक गया। कई कंपनियों ने गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों की ओर रुख किया है। । कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट से डेटा के अनुसार महाराष्ट्र शीर्ष पर , जबकि मुंबई अधिकांश कंपनियों के लिए पसंदीदा स्थान था। ये राज्य निवेश को आकर्षित करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं, जिससे पश्चिम बंगाल की स्थिति और भी कमजोर होती जा रही है।
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