भारत Pakistan को जल प्रवाह रोकने के लिए 3-भागीय योजना पर काम कर रहा है: केंद्र की लघु, मध्यम और दीर्घकालिक रणनीतियां
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि के अंतर्गत Pakistan को मिलने वाले पानी को नियंत्रित करने के लिए तीन-स्तरीय रणनीति (Three-Phase Strategy) पर काम शुरू कर दिया है। इस रणनीति को लघु, मध्यम और दीर्घकालिक उपायों में विभाजित किया गया है।
1. लघु अवधि की रणनीति: तुरंत प्रभावी योजनाएं
इस चरण में भारत सरकार ने कुछ तत्काल कदमों पर ध्यान केंद्रित किया है जिनमें शामिल हैं:
- बांधों और जलाशयों से Pakistan को जाने वाले जल का प्रवाह घटाना, लेकिन संधि के दायरे में रहते हुए।
- जल प्रवाह की निगरानी और नियंत्रण के लिए उन्नत सेंसर सिस्टम लगाना।
- रावी, ब्यास और सतलज जैसी नदियों से अतिरिक्त पानी को जम्मू-कश्मीर और पंजाब में मोड़ना, जिससे पाकिस्तान को कम पानी मिले।
2. मध्यम अवधि की रणनीति: जल संरचनाओं का विस्तार
इसमें भारत अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान देगा:
- पाकिस्तान जाने वाले जल को भारत में रोकने के लिए नए डैम और बैराज बनाए जाएंगे।
- पाकल दुल, रटले और किशनगंगा जैसी परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा किया जाएगा।
- बांधों की जल-भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी अपग्रेड भी शामिल है।
सरकार का लक्ष्य है कि अगले 3–5 वर्षों में यह प्रोजेक्ट्स पूरी तरह चालू हो जाएं।
3. दीर्घकालिक रणनीति: सिंधु जल संधि की समीक्षा या संशोधन
सबसे बड़ा कदम यह हो सकता है:
- भारत सिंधु जल संधि की समीक्षा करने या उसे रद्द करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
- केंद्र का मानना है कि जब पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता है, तो भारत को उस पर “जल दबाव” (Water Pressure) डालने का पूरा अधिकार है।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी और कूटनीतिक तरीके से इस दिशा में काम शुरू किया जा सकता है।
केंद्र की मंशा क्या है?
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“हम संधि का सम्मान करते हैं, लेकिन अगर Pakistan इसका राजनीतिक दुरुपयोग करता है, तो हमें राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे जल संसाधनों की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठाने होंगे।”
क्या है वैश्विक प्रतिक्रिया?
- विश्व बैंक, जो संधि का गारंटर है, ने दोनों देशों से संयम बरतने और समझौते के अनुसार काम करने को कहा है।
- लेकिन भारत की रणनीति को ‘सॉफ्ट पावर’ का हिस्सा माना जा रहा है,
- जिसमें हथियारों की जगह पानी को ‘रणनीतिक हथियार’ की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय
जल विशेषज्ञों के अनुसार:
- “यह रणनीति भारत को पाकिस्तान पर दबाव बनाने का प्रभावी साधन दे सकती है।”
- “लेकिन यह भी जरूरी है कि संधि के नियमों का पालन करते हुए हर कदम उठाया जाए ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि प्रभावित न हो।”
भारत अब केवल सीमा पर नहीं, बल्कि जल संसाधनों के मोर्चे पर भी Pakistan को जवाब देने की तैयारी में है। यह तीन-स्तरीय रणनीति अगर पूरी तरह लागू हुई, तो यह दक्षिण एशिया की जल राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।