UP : कानपुर के लोगों के खून में कैसे घुल गए ये दो जहरीले पदार्थ?

By Surekha Bhosle | Updated: July 6, 2025 • 11:21 AM

उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में स्वास्थ्य विभाग की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आऊ है. यहां कानपुर में 328 लोगों में क्रोमियम और 12 लोगों में मरकरी जैसा जहरीला पदार्थ खून (Blood) में मौजूद मिला है।  वहीं, कानपुर देहात में 64 लोगों में क्रोमियम और पांच लोगों में मरकरी का होना पाया गया है. इन दोनों तत्वों से किडनी और लिवर फेल होने का खतरा होता है.

एनजीटी की रिपोर्ट में सामने आने के बाद कानपुर Kanpur स्वास्थ्य विभाग ने जब कानपुर के औद्योगिक क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों की जांच करी तो उनके खून में क्रोमियम और मरकरी जैसे हानिकारक तत्व मिले. स्वास्थ्य विभाग भी यह देखकर चौंक गया. कानपुर Kanpur सीएमओ की मानें तो एनजीटी की रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें यह आदेश कर कि वो कानपुर और कानपुर देहात के औद्योगिक क्षेत्र में रह रहे लोगों की स्वास्थ्य जांच करें। 

इसके बाद 23 और 24 जून को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कानपुर में पंछी इंडस्ट्रियल एरिया, रूमा, जाजमऊ, तेजाब मिल कैंपस, राखी मंडी और औरैया क्षेत्र में लोगों के शरीर से जांच के लिए नमूने लिए. जिनकी रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने माना कि शरीर में क्रोमियम और मर्करी बहुत अधिक मात्रा मिली। 

कानपुर Kanpur में 328 लोगों में क्रोमियम और 12 लोगों में मरकरी जैसा जहरीला पदार्थ खून में मौजूद मिला है. वहीं, कानपुर देहात में 64 लोगों में क्रोमियम और पांच लोगों में मरकरी का होना पाया गया है. यह जांच महिला और पुरुष दोनों पर की गई है । कानपुर देहात में तो 20 लोगों में मानक से अधिक मात्रा में क्रोमियम मिला है।  इन दोनों तत्वों से किडनी और लिवर फेल होने का खतरा होता है। 

स्किन कैंसर का भी खतरा

फिलहाल रिपोर्ट आने के बाद विभाग ने लोगों को मल्टीविटामिन देखकर महज औपचारिकता पूरी कर ली है. वहीं, पूरे मामले में डॉक्टर टीम की मानें तो शरीर में क्रोमियम और मरकरी की अगर मात्रा बढ़ती है तो नर्वस सिस्टम खराब होने लगता है. स्किन कैंसर सांस फूलना किडनी लीवर फंक्शंस अफेक्टेड होंगे। 

केमिकल युक्त पानी का सेवन

वहीं, पूरे मामले में कानपुर सीएमओ डॉक्टर उदयनाथ ने बताया- शरीर में इन तत्वों का पाए जाने के पीछे का कारण है केमिकल युक्त पीना. इस पानी के सेवन से दोनों तत्वों की मात्रा मानव शरीर में ज्यादा हो जाती है. दरअसल, औद्योगिक क्षेत्र का केमिकल वाला कचरा नदी नालों में बहा दिया जाता है. इससे हैंडपंप का पानी भी कहीं न कहीं दूषित हो जाता है।  फिर लोग इसी पानी का सेवन करते हैं। 

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