वानाकालम (खरीफ) सीज़न में बुवाई का काम धीमा
हैदराबाद। कम बारिश और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति (water supplies) की अनिश्चितता के कारण तेलंगाना में चालू वानाकालम (खरीफ) सीज़न में बुवाई का काम धीमा पड़ गया है। अभी तक सामान्य फसल क्षेत्र के केवल 42.48 प्रतिशत हिस्से में ही खेती हो पाई है, जिससे किसान समुदाय (Farmer community) में चिंताएँ बढ़ गई हैं। अपेक्षित 132.44 लाख एकड़ में से, केवल 56.26 लाख एकड़ में ही फसल बोई गई है, जो पिछले साल इसी अवधि के 56.19 लाख एकड़ से थोड़ा अधिक है। इस कमी का मुख्य कारण विलंबित और कम वर्षा है, राज्य में पिछले वर्ष की 218.9 मिमी वर्षा की तुलना में इस वर्ष 165.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई और औसत वर्षा 186.4 मिमी रही, जो -11 प्रतिशत का विचलन दर्शाती है।
कपास, मक्का, मिर्च, सोयाबीन, मटर और ज्वार तक सीमित रह गई है वर्षा आधारित बुवाई
ऊपरी तटवर्ती राज्यों से भारी जल प्रवाह के बावजूद, विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से जल उठाने में कांग्रेस सरकार की उदासीनता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। आसमान मानसून ने ज़्यादातर खेती बोरवेल और तालाबों वाले इलाकों तक सीमित कर दी है, जिससे वर्षा आधारित बुवाई कपास, मक्का, मिर्च, सोयाबीन, मटर और ज्वार तक सीमित रह गई है। हालाँकि जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में हुई बारिश से फसलों की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर आने वाले दो हफ्ते में राज्य में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो कपास , मिर्च और ज्वार जैसी पहले से बोई जा चुकी फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
धान की खेती नर्सरी से रोपाई के चरण में
राज्य भर में धान की खेती नर्सरी से रोपाई के चरण में है, दलहन की बुवाई प्रगति पर है और कपास जैसी फसलें वनस्पति अवस्था में हैं। प्रमुख फसलों में, कपास की बुवाई 36.30 लाख एकड़ में हुई है, जो पिछले वर्ष के 35.71 लाख एकड़ से थोड़ा अधिक है। मक्का की बुवाई 2.45 लाख एकड़ से बढ़कर 5.34 लाख एकड़ हो गई है। पिछले वर्ष की तुलना में सुधार के बावजूद, धान की बुवाई अभी भी 62.47 लाख एकड़ के सामान्य क्षेत्रफल की तुलना में केवल 5.01 लाख एकड़ पर ही सीमित है। आईएमडी ने 16 जुलाई तक हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान लगाया है, लेकिन किसान संशय में हैं और मौसम को बचाने की उम्मीद में बूंदाबांदी के पहले संकेत पर ही बीज बो रहे हैं।

अनियमित मानसून ने बुवाई के लिए उपयुक्त समय को कर दिया है सीमित
कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि अनियमित मानसून ने बुवाई के लिए उपयुक्त समय को सीमित कर दिया है, जिससे किसानों के पास उबरने के लिए बहुत कम समय बचा है। किसान संगठन सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, जिसमें फसल बीमा प्रीमियम का अग्रिम भुगतान और फसल नुकसान की स्थिति में दावों पर शीघ्र कार्रवाई के लिए बीमा कंपनियों पर दबाव डालना शामिल है। कृषि विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘अगले कुछ हफ़्ते बेहद अहम हैं। अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो राज्य का फ़सल कवरेज लक्ष्य एक करोड़ एकड़ से काफ़ी कम रह सकता है।’
तेलंगाना में कौन सी खेती होती है?
राज्य में मुख्य रूप से चावल, मक्का, कपास, ज्वार, बाजरा और तूर दाल की खेती होती है। इसके अलावा मूंगफली, सूरजमुखी, मिर्च और तंबाकू भी उगाए जाते हैं। यहाँ की कृषि वर्षा और सिंचाई दोनों पर आधारित है। रबी और खरीफ दोनों मौसमों में खेती होती है।
तेलंगाना का बंटवारा कब हुआ था?
राज्य का बंटवारा 2 जून 2014 को हुआ था। यह दिन आधिकारिक रूप से आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य के गठन का प्रतीक है। यह भारत का 29वां राज्य बना। राजधानी हैदराबाद को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में 10 वर्षों के लिए घोषित किया गया था।
तेलंगाना किसान आंदोलन कब हुआ था?
किसान आंदोलन 1946 से 1951 के बीच हुआ था। यह आंदोलन निजाम के अत्याचारों और ज़मींदारी प्रथा के खिलाफ था। इसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने नेतृत्व दिया। किसानों ने भू-अधिकार, कर में छूट और सामाजिक न्याय की मांग की। यह तेलंगाना के सामाजिक-राजनीतिक इतिहास का अहम हिस्सा है।
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