जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र में होंगे उपचुनाव
हैदराबाद। बीआरएस पार्टी के विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन के बाद हैदराबाद जिले के जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव अपरिहार्य हो गया है। जिले में एक साल के भीतर चुनाव होने की संभावना के साथ, क्या चुनाव सर्वसम्मति से होंगे? बीआरएस पार्टी अपनी मौजूदा सीट को बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाएगी? क्या सत्तारूढ़ कांग्रेस सिकंदराबाद कैंटोनमेंट विधानसभा सीट की तरह इस सीट पर भी कब्जा करेगी? भाजपा और एमआईएम पार्टियों की रणनीति क्या है? इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि अगर उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलता है तो राजनीतिक दल उनका कितना साथ देते हैं?
जुबली हिल्स सीट पर उपचुनाव के लिए अभी कोई घोषणा नहीं
जुबली हिल्स सीट पर उपचुनाव के लिए हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक कवायद शुरू नहीं हुई है, लेकिन टिकट के लिए उम्मीदवार राजनीतिक रूप से अपनी कोशिशें तेज कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपने गॉडफादर के जरिए पार्टी हाईकमान से पैरवी शुरू कर दी है। जब भी ऐसी स्थिति बनती है, बीआरएस पार्टी अपने परिवार के सदस्यों को टिकट देती रही है। अगर ऐसा होता है तो पूर्व विधायक गोपीनाथ की पत्नी मगंती सुनीता को टिकट दिए जाने की संभावना है। हालांकि, पीजेआर के बेटे और पूर्व विधायक पी. विष्णुवर्धन रेड्डी और रावुला श्रीधर रेड्डी जैसे नेताओं के नाम गुलाबी पार्टी में सुनाई दे रहे हैं।
कांग्रेस में कई उम्मीदवार पर होगा मंथन
पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े और हार गए पूर्व टीम इंडिया के क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन, पीजेआर की बेटी पी. विजया रेड्डी और नवीन यादव का नाम भी कांग्रेस पार्टी की ओर से सामने आ रहा है। पिछले चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़ने वाले लंकाला दीपक रेड्डी के साथ-साथ जुतुर कीर्ति रेड्डी, डॉ. पद्मा वीरपनेनी और बंडारू विजया लक्ष्मी का नाम भाजपा में उम्मीदों की सूची में है। जुबली हिल्स क्षेत्र में मुस्लिम अल्पसंख्यक वोट उपचुनाव में निर्णायक होंगे। राशिद फराजुद्दीन ने पिछले विधानसभा चुनाव में एमआईएम पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा था और हार गए थे। हालांकि, ताजा राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसी उम्मीदें हैं कि अगर एमआईएम पार्टी मुकाबले से दूर रहती है तो कांग्रेस पार्टी की जीत की संभावना बढ़ जाएगी।
… तो उपचुनाव में होगी भाजपा की जीत
फिलहाल तेलंगाना में मुख्य राजनीतिक दलों के बीच राजनीति चल रही है। कांग्रेस सरकार अपने किए गए वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वह हर योजना को लागू करके आगे बढ़ेगी। दूसरी ओर, बीआरएस पार्टी और भाजपा यह कहकर रेवंत रेड्डी सरकार को चुनौती दे रही है कि जनता का विरोध बढ़ गया है और अगर राज्य में उपचुनाव होता है तो जीत उनकी होगी। ऐसे में जुबली हिल्स क्षेत्र में उपचुनाव होना बीआरएस और भाजपा के लिए चुनौती बन जाएगा। कांग्रेस पार्टी के जीतने या हारने से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं है। लेकिन, अगर बीआरएस पार्टी अपनी मौजूदा सीट हार जाती है तो संभावना है कि जनता को यह संकेत जाएगा कि उनकी बढ़ती ताकत के बारे में वे सालों से जो प्रचार कर रहे हैं वह व्यर्थ हो जाएगा।

किसकी होगी जुबली हिल्स सीट, मंथन तेज
दूसरी ओर, भाजपा दावा कर रही है कि राज्य में उनका समर्थन बढ़ रहा है और लोग रेवंत सरकार का विरोध कर रहे हैं। इस दावे को सच साबित करने के लिए पार्टी को इस चुनाव में अपनी ताकत भी दिखानी होगी। इसके साथ ही यह चुनाव भाजपा के लिए भी चुनौती बन जाएगा। इस क्रम में सीएम रेवंत रेड्डी क्या रणनीति लागू करने जा रहे हैं?, कैंटोनमेंट विधानसभा सीट के अनुभव के बाद केसीआर का नया खाका क्या है, यह आने वाले दिनों में देखने लायक होगा।