हैदराबाद पेड़ कटाई विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘स्टॉप’, पर्यावरण पर दी सख्त चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हैदराबाद में चल रहे पेड़ कटाई मामले (Hyderabad Tree Cutting Case) में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक सभी निर्माण गतिविधियों और पेड़ कटाई पर पूर्ण रोक लगाने का SC ordeदिया है। यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से अहम माना जा रहा है, खासकर तब जब देश के कई हिस्सों में ते जी से पेड़ काटे जा रहे हैं।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
हैदराबाद में एक महत्वाकांक्षी सड़क विस्तार परियोजना के तहत हजारों पेड़ काटने की योजना बनाई गई थी। यह योजना तेलंगाना सरकार के शहरी विकास कार्यक्रम का हिस्सा थी। हालांकि, जब स्थानीय लोगों, पर्यावरणविदों और नागरिक संगठनों को इस योजना की जानकारी मिली, तो उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया।
प्रदर्शनों, जन सुनवाइयों और याचिकाओं के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह परियोजना पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती है और यह भविष्य में जलवायु संकट को और गंभीर बना सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिसों की पीठ ने तल्ख लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा:
“पेड़ केवल लकड़ी नहीं हैं। वे जल, हवा और जीवन का स्रोत हैं। यदि हर विकास के नाम पर हरियाली मिटा दी जाए, तो भविष्य किसका होगा?”
- पब्लिक कंसल्टेशन जरूरी है।
- एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट होनी चाहिए।
- वैकल्पिक रास्तों पर पहले विचार करना जरूरी है।
कोर्ट का अंतरिम SC order क्या है?
कोर्ट ने फिलहाल Status Quo बनाए रखने का SC order दिया है। इसका मतलब:
- कोई नया पेड़ नहीं काटा जाएगा।
- जमीन पर कोई निर्माण या एक्सपैंशन गतिविधि नहीं होगी।
- अगर कोई निर्माण हो रहा है, उसे तुरंत रोका जाए।
यह SC order तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि कोर्ट अगली सुनवाई में अंतिम फैसला नहीं सुनाता।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण
यह फैसला उस वक्त आया है जब देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि:
- जंगल और पेड़ केवल सुंदरता के लिए नहीं हैं।
- ये पानी के स्रोत, हवा को शुद्ध करने वाले और जैव विविधता के रक्षक हैं।
- बिना सोचे समझे पेड़ काटना एक “Environmental Crime” के समान है।
याचिकाकर्ताओं की दलीले
याचिका दायर करने वाले वकीलों और पर्यावरण समूहों ने कोर्ट को बताया कि:
- हैदराबाद पहले से ही हीट आइलैंड इफेक्ट का शिकार है।
- हर साल तापमान में वृद्धि हो रही है।
- परियोजना से 5000 से अधिक पुराने, छायादार और जीवनदायिनी पेड़ काटे जाने थे।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने वैकल्पिक रूट या एलिवेटेड कॉरिडोर जैसी संभावनाओं पर विचार नहीं किया।
सरकार की सफाई
राज्य सरकार ने परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि:
- यह योजना ट्रैफिक कंजेशन को कम करने के लिए बनाई गई है।
- सभी आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरियां ली जा चुकी हैं।
हालांकि कोर्ट ने सरकार से कहा कि केवल मंजूरी ही पर्याप्त नहीं है, जवाबदेही और पारदर्शिता भी जरूरी है।
आम जनता और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
- सोशल मीडिया पर कोर्ट के इस फैसले को “प्राकृतिक न्याय” करार दिया गया है।
- कई लोगों ने कहा कि “विकास जरूरी है लेकिन उसे जिम्मेदारी से लागू किया जाना चाहिए।”
- पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे भविष्य के लिए सकारात्मक मिसाल बताया।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि:
- भारत जैसे देश को अब “Nature Positive Development” की ओर बढ़ना होगा।
- सरकारों को विकास और हरियाली दोनों में संतुलन बनाना होगा।
- ऐसे फैसले नीति-निर्माण में प्रकृति को केंद्र में लाने में मददगार होंगे।
अगली सुनवाई कब?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो हफ्तों के भीतर रखने के निर्देश दिए हैं। तब तक यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।