GDP growth rate 6.5% से ऊपर रहेगा, ICRA का मजबूत अनुमान ICRA का नया अनुमान
रेटिंग एजेंसी ICRA की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक अगले वित्त वर्ष (FY 2025‑26) में भारत का GDP growth rate 6.5% से ऊपर रहने की प्रबल संभावना है, जबकि GVA growth भी 6.3% से अधिक रहने की संभावना जताई गई है।
रिपोर्ट में इन तथ्यों को ग्रामीण मांग, कर राहत और निवेश आधारित योजनाओं के सकारात्मक संकेत बताया गया है।
सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के पीछे के प्रमुख ड्राइवर्स
1. ग्रामीण मांग और कर राहत
- ग्रामीण क्षेत्रों की मजबूत खपत, विशेषकर कृषि-आधारित क्षेत्रों से, GDP growth rate के स्थायित्व में सहायक होगी ।
- कर राहत और राजकोषीय उपायों की संभावित घोषणा से घरेलू मांग और निवेश को गति मिलेगी।
2. निवेश और पूंजीगत व्यय
- सरकार और राज्यों के द्वारा बड़ी पूंजीगत योजनाओं पर खर्च से निवेश परिप्रेक्ष्य मजबूत होगा, जिससे सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को सहारा मिलेगा ।
- Q4 में सार्वजनिक पूंजीगत खर्च ने आर्थिक पुनरुत्थान को गति दी है।

3. GVA के अनुमान
- ICRA का अनुमान है कि GVA growth 6.3% से अधिक रहेगी, जो संकेत करता है कि आर्थिक गतिविधियों में संतुलन बरकरार रहेगा।
महंगाई और ब्याज दर का परिदृश्य
महंगाई
- मई में खुदरा महंगाई CPI 2.82% दर्ज हुई — छः वर्षों में सबसे कम स्तर।
- ICRA ने अनुमान लगाया है कि जून में CPI महंगाई और भी नीचे जाकर लगभग 2.5% तक होगी।
ब्याज दर
- RBI ने हाल ही में 50 आधार अंक की रेपो दर कटौती की है, और महंगाई गिराव की वजह से अगस्त या अक्टूबर 2025 में एक और 25bps कटौती की संभावना है।
- यह नीतिगत मौद्रिक स्थिति GDP growth rate को सकारात्मक रखने में सहायक हो सकती है।
क्या है भविष्य की रणनीति?
- चलन वित्त वर्ष में GDP growth rate 6.5–7% रेंज में रहने की संभावना पर जोर दिया गया है।
- ICRA ने यह भी कहा कि FY25 के Q4 में 6.9% की वृद्धि दर्ज की गई है, हालांकि कुल FY25 में आंकड़ा 6.3% पर रह गया था।
- FY26 में मांग का संतुलन, निवेश और मौद्रिक नीतियां GDP growth rate को प्रभावित करेंगे।

नियंत्रित मुद्रास्फीति और स्थिर वृद्धि
- ICRA का कहना है कि GDP growth rate FY26 में 6.5% से ऊपर रहेगा, जिसे ग्रामीण मांग और पूंजीगत खर्च द्वारा समर्थित बताया गया है।
- CPI महंगाई 3% से नीचे बनी रहेगी, जिससे RBI की मौद्रिक नीति नरम बनेगी और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
- इस संतुलन से निवेश, रोजगार और आम जनता की क्षमताओं पर सकारात्मक असर होगा।