ठाकरे बंधुओ के साथ आने पर क्या बदलेगी Maharashtra की राजनीति ?

By Vinay | Updated: June 6, 2025 • 10:29 AM

अमित ठाकरे ने कहा “आप जो दो भाई की बात कर रहे हैं, मेरा कहना इतना ही है कि उन दोनों भाइयों को एक दूसरे को कॉल करना चाहिए। मेरे कहने से कुछ नहीं होगा। दोनों साथ आते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। 2014/2017 और कोविड के समय में दोनों साथ आ चुके हैं।

 हमने देखा कि राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को फोन किया था और कहा था कोविड जैसी भीषण विपदा में हम सरकार के साथ हैं। इसलिए उन दोनों को बातचीत करनी चाहिए। मीडिया के सामने बयानबाजी करने से गठबंधन नहीं होता है। दोनों के पास एक दूसरे के फोन नम्बर हैं, दोनों बात करें।”

मुंबई, 5 जून 2025: महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बंधुओं – आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे – के एक साथ आने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। इंडिया टीवी पर दिए गए हालिया बयानों ने इन अटकलों को और हवा दी है। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) नेता अमित ठाकरे ने मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हितों को लेकर एकजुटता की बात कही है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

टीवी इंटरव्यू के बाद बढ़ी सियासी हलचल

टीवी को दिए इंटरव्यू में अमित ठाकरे ने स्पष्ट रूप से उद्धव ठाकरे का नाम लेते हुए कहा, “मुझे कोई परेशानी नहीं है। दोनों पक्षों को आपस में बात करनी चाहिए। महाराष्ट्र के बड़े मुद्दों के लिए एकजुट होना जरूरी है।” वहीं, आदित्य ठाकरे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं सभी मराठी लोगों से अपील करता हूं कि मराठी मानुष के हित में एकजुट हों, लेकिन शर्त यह है कि महाराष्ट्र के हितों को प्राथमिकता दी जाए।” हालांकि, आदित्य ने अमित का नाम लेने से परहेज किया, जिस पर कुछ एक्स पोस्ट्स में कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया कि “नाम लेने से डरने से गठबंधन की बात आगे नहीं बढ़ेगी।”

सियासी समीकरण और चुनौतियां

2024 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) को 20 सीटें मिलीं, जबकि एमएनएस एक भी सीट नहीं जीत सकी। माहिम सीट पर अमित ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) के महेश सावंत और शिंदे गुट के सदा सरवणकर के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। विश्लेषकों का मानना है कि अगर ठाकरे बंधु एकजुट होते हैं, तो मराठी वोटों का बंटवारा रुक सकता है, जो महायुति (बीजेपी-शिंदे शिवसेना-एनसीपी) के लिए चुनौती बन सकता है। खासकर मुंबई, ठाणे और कोंकण क्षेत्रों में, जहां दोनों पार्टियों का प्रभाव है, यह गठबंधन गेम-चेंजर हो सकता है।


हालांकि, दोनों नेताओं के बीच पुराने मतभेद और नेतृत्व का मुद्दा इस गठबंधन के लिए सबसे बड़ी बाधा है। 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर एमएनएस बनाई थी, और तब से दोनों परिवारों के बीच तनाव रहा है। इसके बावजूद, हाल ही में राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे की मुलाकात और अमित की मौजूदगी ने भी सियासी अटकलों को बढ़ाया है।

क्या कहते हैं बयान?

अमित ठाकरे ने इंडिया टीवी पर कहा, “महाराष्ट्र के लिए बड़े मुद्दों पर ध्यान देना होगा। मराठी अस्मिता और रोजगार जैसे सवालों पर हमें एक साथ आना चाहिए।”

क्या होगा भविष्य?

मीडिया में चल रही चर्चाओं में कार्यकर्ता उत्साहित दिख रहे हैं, लेकिन कुछ लोग आदित्य की ओर से अमित का नाम न लेने को लेकर सवाल उठा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर यह गठबंधन साकार होता है, तो यह महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, दोनों दलों के बीच वैचारिक मतभेद और अहम की लड़ाई अभी भी चुनौती बनी हुई है।

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