फिर पांव पसार रहा H1N1 वायरस, 516 लोग संक्रमित, 6 मरीजों की मौत

By digital@vaartha.com | Updated: March 11, 2025 • 11:03 AM

जनवरी 2025 में भारत के 16 राज्यों में स्वाइन फ़्लू (एनसीडीसी) के 516 मामले सामने आए, जिनमें 6 लोगों की मौत हो गई. केरल में सबसे ज़्यादा मौतें हुईं. एनसीडीसी ने दिल्ली, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में स्थिति गंभीर बताई है और निगरानी बढ़ाने की अपील की है.

स्वाइन फ्लू यानी एच1एन1 वायरस का संक्रमण फिर पांव पसार रहा है. देश के 8 राज्यों में काफी तेजी से इसका प्रसार बढ़ा है. जनवरी 2025 में 16 राज्यों में 516 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आए. 6 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई.

सबसे अधिक मौतें केरल में हुई. यहां 4 लोगों की जान गई, जबकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में 1-1 मौत हुई. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानी एनसीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में हालात गंभीर है.

एनसीडीसी की स्वाइन फ्लू को लेकर तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक और दिल्ली में निगरानी बढ़ाने की अपील है. तमिलनाडु में 209, कर्नाटक में 76, केरल में 48, जम्मू-कश्मीर में 41, दिल्ली में 40, पुडुचेरी में 32, महाराष्ट्र में 21 और गुजरात में 14 केस सामने आए हैं.

रिपोर्ट में क्या बताया गया?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में एनसीडीसी ने बताया कि 2024 में 20,414 लोग संक्रमण की चपेट में आए, जिनमें 347 की मौत हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में सर्वाधिक 28,798 मामले दर्ज किए, जिनमें 1,218 लोगों की मौत हुई. केंद्र सरकार पहले ही इस तरह की बीमारी पर तत्काल रिस्पांस के लिए टास्क फोर्स का गठन कर चुकी है.

टास्क फोर्स में स्वास्थ्य मंत्रालय, एनसीडीसी, आईसीएमआर, दिल्ली एम्स, पीजीआई चंडीगढ़, निम्हांस बंगलूरू, विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग सहित अलग-अलग मंत्रालयों के टॉप अधिकारी शामिल हैं. एच1एन1 एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है.

क्या हैं इसके लक्षण?

पहले ये वायरस सिर्फ सूअरों को प्रभावित करता था, लेकिन अब यह मनुष्यों को भी संक्रमित कर रहा है. बुखार, थकान, भूख न लगना, खांसी, गले में खराश, उल्टी और दस्त इसके लक्षण हैं. यह ऊपरी और मध्य श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. कोरोना की तरह यह भी एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता रखता है. भारत में 2009 में पहली बार इसका केस मिला था. 2009 से 2018 तक भारत में इस संक्रमण की मृत्यु दर काफी अधिक रही.

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