Hindi News: यूपी में मंत्री-विधायक के रिश्तेदारों को बांटी नौकरियां; जांच करने आए अफसर के भतीजे की भी नौकरी लगी

By Vinay | Updated: September 19, 2025 • 3:38 PM

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक (The Urban Cooperative Bank) में भर्ती प्रक्रिया में बड़ा घोटाला सामने आया है। दैनिक भास्कर की जांच में खुलासा हुआ है कि तत्कालीन सहकारिता मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य भाजपा (BJP) नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरियां बांटी गईं। चौंकाने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच के लिए आए अफसर के भतीजे को भी इसी बैंक में नौकरी मिल चुकी थी। कुल 27 नियुक्तियों में 55% ठाकुर समुदाय के लोग हैं, जो बैंक के शेयरधारकों की आबादी से कहीं ज्यादा है। यह मामला कृतित भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है

जांच कैसे शुरू हुई?

दैनिक भास्कर को लखीमपुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। स्थानीय शेयरधारकों ने बताया कि बैंक में भर्तियां पारदर्शिता के बिना हो रही हैं और नेताओं के रिश्तेदारों को प्राथमिकता दी जा रही है। हमारी टीम ने बैंक के रिकॉर्ड्स की पड़ताल की, जिसमें 2022-2024 के बीच की 27 नई नियुक्तियों की लिस्ट मिली। इनमें से ज्यादातर पद क्लर्क, कैशियर और सहायक जैसे थे।

जांच में पाया गया कि:

सबसे बड़ा ट्विस्ट: जांचकर्ता का रिश्तेदार भी शामिल

2023 में सहकारिता विभाग को भ्रष्टाचार की शिकायत मिली। विभाग ने एक वरिष्ठ अफसर को जांच सौंपी। लेकिन दैनिक भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ कि उसी अफसर के भतीजे (मौसेरे भाई) को 2022 में ही बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल चुकी थी। अफसर ने जांच रिपोर्ट में भर्तियों को “सामान्य” बताया था, लेकिन रिकॉर्ड्स से साफ था कि योग्यता के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ। यह “कृतित भ्रष्टाचार” का जीता-जागता उदाहरण है, जहां जांचकर्ता खुद सिस्टम का हिस्सा निकला।

बैंक का बैकग्राउंड और प्रभाव

लखीमपुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक 1960 में स्थापित हुआ, जो स्थानीय किसानों और व्यापारियों को लोन देता है। बैंक के पास 500 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर है, लेकिन अनियमित भर्तियों से शेयरधारकों का विश्वास डगमगा गया है। कई शेयरधारकों ने बताया कि योग्य उम्मीदवारों को मौका नहीं मिला, जबकि “सिफारिश वालों” को प्राथमिकता दी गई। इससे बैंक की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

क्या कहते हैं संबंधित पक्ष?

दैनिक भास्कर ने इस मामले को सहकारिता रजिस्ट्रार और उत्तर प्रदेश सरकार के पास भेज दिया है। शेयरधारकों ने सामूहिक शिकायत की है, जिसमें नई भर्ती प्रक्रिया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में आरटीआई और कोर्ट का सहारा लेना चाहिए।

यह खुलासा उत्तर प्रदेश के सहकारी क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जहां राजनीतिक सिफारिशें नियमों पर भारी पड़ रही हैं। अगर आप इस मामले पर और अपडेट चाहें, तो बताएं।

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