आईएमएफ पाकिस्तान लोन: भारत ने शुक्रवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर का नया ऋण दिए जाने पर गहरा विरोध जताया। हिंदुस्तान ने न सिर्फ इस प्रस्ताव पर वोटिंग से खुद को अलग रखा, बल्कि इस मुताबिक का उपयोग औपचारिक रूप से अपनी आपत्तियां प्रविष्ट करने के लिए भी किया।
IMF की वोटिंग प्रणाली और भारत की रणनीति
IMF की मतदान प्रक्रिया में औपचारिक “नहीं” वोट का कोई प्रावधान नहीं होता। ऐसे में हिंदुस्तान ने मतदान में भाग न लेकर एक कूटनीतिक तरीका अपनाया और अपनी असहमति को रेखांकित किया। IMF के 25 निदेशकों में से कोई यदि प्रस्ताव का विरोध करना चाहे, तो उसे अनुपस्थित रहना पड़ता है, जैसा हिंदुस्तान ने किया।
भारत की मुख्य आपत्तियां
- पाकिस्तान का आतंकवाद समर्थन: हिंदुस्तान ने स्पष्ट किया कि इस तरह की सहायता सीमापार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश को सशक्त बनाती है।
- IMF की सहायता की विफलता: हिंदुस्तान ने बताया कि पिछले 35 सालों में 28 सालों तक पाकिस्तान IMF सहायता का लाभार्थी रहा, लेकिन सुधार नगण्य हैं।
- सैन्य नियंत्रण और पारदर्शिता की कमी: पाकिस्तान में आर्थिक मामलों पर सेना का काबू नागरिक शासन और पारदर्शिता को प्रभावित करता है।

पाकिस्तान को फंड देने से वैश्विक संस्थाएं होंगी कमजोर
आईएमएफ पाकिस्तान लोन: भारत ने चेतावनी दी कि ऐसे अस्थिर और आतंक समर्थक राष्ट्र को सहायता देने से IMF जैसी संस्थाओं की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचेगा। इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मानकों की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
IMF में अमेरिकी वर्चस्व और निर्णय प्रक्रिया
आईएमएफ (International Monetary Fund) में वोटिंग पावर प्रत्येक देश की आर्थिक ताकत पर आधारित होती है। अमेरिका और अन्य विकसित देशों का प्रभाव अधिक है, जिससे सर्वसम्मति से फैसला लिया जाता है। भारत की अनुपस्थिति को इसी सिस्टम में विरोध का प्रतीक माना गया।