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भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार,

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क्या भारत सच में $1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के करीब है? क्या स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी देश की तकदीर बदल सकते हैं? निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, ऑनलाइन खरीदारी नए मुकाम छू रही है, लेकिन क्या यह सफर इतना आसान होगा?

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था एक नए युग की ओर बढ़ रही है, जहां छोटे स्टार्टअप से लेकर बड़ी कंपनियां तक, हर कोई सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कुछ साल पहले तक जो सपना लगता था, वह अब हकीकत बन रहा है। निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है, लोग तेजी से डिजिटल हो रहे हैं, और देश की अर्थव्यवस्था एक नए मुकाम की ओर बढ़ रही है। यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की मेहनत, सपनों और संघर्ष की कहानी है। क्या भारत सच में $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर है?

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और $1 ट्रिलियन तक पहुंचने के रास्ते पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के IPO (Initial Public Offering) बाजार में जबरदस्त उछाल आया है। पिछले साल दुनिया में हुई कुल लिस्टिंग में से 30% से ज्यादा भारत के IPO थे। भारत ने पिछले एक साल में दुनिया के कुल IPO वॉल्यूम का 31% योगदान दिया और लगभग $3 बिलियन की फंडिंग जुटाई। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक बाजार की कुल कीमत $13 ट्रिलियन तक पहुंच जाए। यह तेजी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ते असर की वजह से आ रही है।

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। देश में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न कंपनियां हैं, यानी वे स्टार्टअप जिनकी वैल्यू 1 अरब डॉलर से ज्यादा है। इनके अलावा, कई नई कंपनियां भी बाजार में आ रही हैं, जो मुनाफा कमाने, अच्छी क्वालिटी देने और कई तरीकों से बिजनेस करने पर ध्यान दे रही हैं। 2024 में 330 से ज्यादा कंपनियों के शेयर बाजार में लिस्ट हुए, जिससे भारत का योगदान ग्लोबल आईपीओ मार्केट में 30% से ज्यादा हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के बाद से यूनिकॉर्न कंपनियों की कमाई तीन गुना बढ़ी है, और कई कंपनियां 2024 में मुनाफे में आ गई हैं। इसके साथ ही, शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पहले निवेशकों की औसत उम्र 42-44 साल थी, लेकिन अब यह घटकर 30 साल से भी कम हो गई है।

ऑनलाइन खरीदारी और छोटे ब्रांड्स की बढ़ती भूमिका

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 350 से ज्यादा ब्रांड ऐसे हैं, जिनकी सालाना कमाई 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा है। इसका मतलब है कि भारत का बाजार अभी पूरी तरह संगठित नहीं हुआ है, और कई जगहों पर छोटी कंपनियों का ज्यादा दबदबा है। 2030 तक ऑनलाइन खरीदारी पूरे बाजार का 12% तक हो सकती है। इससे महंगे और लग्जरी प्रोडक्ट्स के लिए बड़े मौके मिलेंगे। गांवों में भी ऑनलाइन शॉपिंग तेजी से बढ़ रही है। अब वहां इंटरनेट और टेक्नोलॉजी पहुंच रही है, और लोग भी अच्छी चीजें खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।

टेक्नोलॉजी से बिजनेस में नए बदलाव

B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) सेक्टर में अब टेक्नोलॉजी की मदद से सप्लाई चेन को बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे दुनिया भर में नए मौके मिल रहे हैं। रिपोर्ट लॉन्च के दौरान, नवी कंपनी के चेयरमैन सचिन बंसल ने कहा कि कंपनियों का माहौल और कर्मचारियों का अनुभव बेहतर बनाने में मैनेजर की बड़ी भूमिका होती है। वहीं रेडसीर स्ट्रेटजी कंसल्टेंट्स के CEO अनिल कुमार ने कहा कि भारत की डिजिटल और स्टार्टअप इकोनॉमी एक बड़े बदलाव के दौर में है। आने वाले 10 सालों में वे कंपनियां ही सफल होंगी, जो कई तरीकों से बिजनेस करेंगी, अच्छी क्वालिटी पर ध्यान देंगी और पैसे का सही इस्तेमाल करेंगी।





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