स्पेन के मैड्रिड में भारत के सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने भारत की राष्ट्रीय भाषा को लेकर एक प्रभावशाली बयान दिया। भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए, जब उनसे पूछा गया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है, तो कनिमोझी ने जवाब दिया, “भारत की राष्ट्रीय भाषा है ‘अनेकता में एकता’।”
उनके इस सधे हुए जवाब ने उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया, और हॉल में देर तक तालियां गूंजती रहीं। यह बयान भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को रेखांकित करता है, जो देश की ताकत का प्रतीक है।
कनिमोझी का यह बयान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के त्रि-भाषा फॉर्मूले को लेकर चल रही बहस के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। डीएमके ने इस नीति का विरोध करते हुए तर्क दिया है कि यह गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास है। कनिमोझी ने अपने संबोधन में भारत की एकता और विविधता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीय इस संदेश को दुनिया तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट करना और वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देना था। कनिमोझी ने स्पेन के विदेश मंत्री जोसे मैनुएल अल्बारेस से मुलाकात के दौरान हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर भारत की स्थिति स्पष्ट की। उनके इस बयान ने न केवल भारत की सांस्कृतिक विविधता को उजागर किया, बल्कि वैश्विक मंच पर शांति और एकता का संदेश भी दिया।
यह बयान सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना, जहां इसे भारत की एकता और विविधता का प्रतीक बताया गया।