India-Saudi :अरब मिलकर बनाएंगे दो रिफाइनरियां।

भारत दो रिफाइनरियों की स्थापना के लिए India-Saudi अरब के साथ करेगा सहयोग
India-Saudi अरब के बीच ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करते हुए अब दो नई रिफाइनरियों की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। यह कदम दोनों देशों के लिए न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है।
सहयोग का प्रमुख उद्देश्य
- भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना
- सऊदी अरब के लिए निवेश के नए द्वार खोलना
- रिफाइनरी निर्माण के जरिए दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करना

प्रस्तावित रिफाइनरियां कहां बनेंगी?
- एक रिफाइनरी महाराष्ट्र के रत्नागिरी में प्रस्तावित है
- दूसरी रिफाइनरी की जगह गुजरात या आंध्र प्रदेश में तय की जा सकती है
- दोनों रिफाइनरियों की संयुक्त उत्पादन क्षमता लगभग 60 मिलियन टन प्रति वर्ष होने की संभावना है
निवेश और भागीदारी
- सऊदी अरब की प्रमुख तेल कंपनी Saudi Aramco इस प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाएगी
- भारत की ओर से IOCL, HPCL और BPCL जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इस साझेदारी में शामिल होंगे
- अनुमानित निवेश राशि: 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर
पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस की बैठक
- हाल ही में पीएम मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुई वार्ता में इस डील पर चर्चा हुई
- ऊर्जा, सुरक्षा, डिजिटल इनोवेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बातचीत की गई
- दोनों नेताओं ने 2030 विजन के तहत दीर्घकालिक रणनीति बनाने पर सहमति जताई
वैश्विक संदर्भ में डील का महत्व
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बढ़ी है
- भारत अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण चाहता है
- सऊदी अरब अपने एशियाई साझेदारों के साथ दीर्घकालिक संबंध चाहता है

डील से होने वाले संभावित लाभ
- भारत को स्थिर और सस्ता कच्चा तेल मिल सकेगा
- दोनों देशों में नई नौकरियों का सृजन होगा
- भारतीय रिफाइनरी सेक्टर में तकनीकी अपग्रेडेशन संभव होगा
- फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) में वृद्धि होगी
India-Saudi अरब के बीच प्रस्तावित रिफाइनरियां केवल ऊर्जा प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध का प्रतीक हैं। आने वाले वर्षों में यह सहयोग ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के नए आयाम स्थापित कर सकता है।