Indian Navy: भारत अब समुद्र के अंदर भी अपनी ताकत को दृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने 44,000 करोड़ पैसों के प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए 12 एडवांस्ड माइनस्वीपर्स खरीदने की योजना बनाई है। ये जहाज समुद्र में छिपी बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे।
चीन और पाकिस्तान से मिल रही समुद्री चुनौती
चीन लगातार हिंद-प्रशांत प्रदेश में सक्रिय है और पानी के नीचे माइंस बिछाने की सामर्थ्य रखता है। पाकिस्तान भी तेज़ी से अपनी अंडरवॉटर कैपेबिलिटी बढ़ा रहा है।
उसे चीन से आठ यूआन क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन मिलने वाले हैं। ऐसे में हिन्दुस्तान की समुद्री सुरक्षण के लिए यह कदम बेहद अहम है।

माइनस्वीपर्स: भारत की जरूरत या मजबूरी?
Indian Navy: इस वक्त हिन्दुस्तान के पास एक भी सक्रिय माइनस्वीपर नहीं है, जो चिंता का विषय है। पहले मौजूद छह करवार क्लास और दो पुडुचेरी क्लास माइनस्वीपर्स को रिटायर किया जा चुका है।
समुद्री बारूदी सुरंगों से निपटने के लिए इन जहाजों की भूमिका निर्णायक होती है, विशिष्ट रूप से जब दुश्मन बंदरगाह या समुद्री व्यापार पर आक्रमण करने की साजिश रचता है।
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि माइनस्वीपर्स भारत की मैरिटाइम डिफेंस स्ट्रैटेजी का अहम भाग होंगे।
प्रोजेक्ट को मिलेगी तेजी, रक्षा मंत्री की निगरानी में प्रस्ताव
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बहुप्रतीक्षित योजना जल्द ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल के सामने पेश की जाएगी। मंजूरी के बाद माइन काउंटर मेजर वेसल्स (MCMVs) के निर्माण का कार्य आरंभ होगा।
हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि पहला माइनस्वीपर बनने में 7 से 8 साल का वक्त लग सकता है। इसलिए यह निवेश लंबी अवधि की प्रबन्ध का संकेत है।