National: जरूरत से कम बच्चे पैदा कर रही भारतीय महिलाएं…

By Surekha Bhosle | Updated: June 11, 2025 • 1:45 PM

5 से घटकर 2 बच्चों तक का सफर

भारत की महिलाएं अब पहले की तुलना में कम बच्चों को जन्म दे रही हैं — यह बदलाव देश की सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रगति का प्रतीक है।

5 सालों में क्या बदला?

1970 के दशक: औसतन 5 से ज्यादा बच्चे प्रति महिला

2020 के बाद: औसतन 2 बच्चे प्रति महिला

यह बदलाव न केवल जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति को भी दर्शाता है।

पूरी दुनिया में भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, लेकिन समय के साथ देश में प्रजनन दर गिरता ही जा रहा है. आज आप इस चीज को आराम से देख रहे होंगे कि एक समय था जब लोगों के 5-6 या इससे भी ज्यादा बच्चे हुआ करते थे, लेकिन आज के समय में एक या दो बच्चों का ट्रेंड ही सामने आ रहा है. जहां एक तरफ यूएन ने दावा किया है कि साल 2025 में भारत की जनसंख्या 1.46 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है. वहीं, यूएन की एक नई जनसांख्यिकीय रिपोर्ट (UN demographic report) में इस तरफ भी इशारा किया गया है कि, देश की कुल प्रजनन दर नीचे गिर गई है।

भारत के इतिहास को देखें तो साल 1970 में भारत की प्रजनन दर आज की तुलना में काफी ज्यादा थी. अगर आप भी देखेंगे तो आपके परिवार में उस समय में लोगों के काफी सारे भाई-बहन होंगे. आपके दादा-दादी के काफी सारे भाई-बहन होंगे, लेकिन आज के समय में तस्वीर बदल गई है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ( United Nations Population Fund) के अनुसार, 1970 में भारत में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) लगभग 5 बच्चे प्रति महिला थी।

हर महिला के 5 बच्चे से लेकर 2 बच्चों तक

यानी 1970 में एक महिला 5 बच्चों को जन्म देती थी. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, इस दर में पिछले कुछ सालों में गिरावट आई है, भारत में कुल प्रजनन दर वर्तमान में प्रति महिला 2.0 बच्चे है. यानी 5 बच्चों से अब महिलाएं 2 बच्चों को जन्म देती है।

  1. 1970 का दशक: प्रति महिला औसतन लगभग 5 बच्चे
  2. 1997: प्रति महिला 3.3 जन्म
  3. 2009: प्रति महिला 2.7 जन्म
  4. 2019-21: प्रति महिला 2.0 जन्म
  5. 2024: प्रति महिला 2.1 जन्म (कुछ स्रोतों के अनुसार), हालांकि एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है कि यह 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे, 1.9 के आसपास हो सकता है।

धीरे-धीरे घट रहा प्रजनन दर

UNFPA की 2025 की रिपोर्ट में पाया गया कि भारत की कुल प्रजनन दर घटकर प्रति महिला 1.9 जन्म हो गई है, जो 2.1 के मानक से नीचे है. इसका मतलब यह है कि, औसतन, भारतीय महिलाएं पीढ़ी दर पीढ़ी जनसंख्या को बनाए रखने के लिए जितने बच्चे होने चाहिए उनसे कम पैदा कर रही हैं।

कितनी युवा, बुजुर्ग आबादी?

धीमी जन्म दर के बावजूद, भारत की युवा आबादी का साइज बिल्कुल सही बना हुआ है. जिसमें 0-14 के आयु वर्ग में 24 प्रतिशत, 10-19 में 17 प्रतिशत और 10-24 में 26 प्रतिशत है. साथ की देश की 68 प्रतिशत आबादी कामकाजी उम्र (15-64) की है. बुजुर्ग आबादी (65 और उससे अधिक) वर्तमान में 7 प्रतिशत है, यह आंकड़ा आने वाले दशकों में जीवन प्रत्याशा में सुधार के साथ बढ़ने की उम्मीद है. 2025 तक, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 वर्ष और महिलाओं के लिए 74 वर्ष होने का अनुमान है।

यूएन के अनुमान के अनुसार, वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1,463.9 मिलियन है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 1.5 बिलियन लोगों के साथ भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है. साल 1960 में, जब भारत की जनसंख्या लगभग 436 मिलियन थी, औसत महिला के लगभग 6 बच्चे थे।

क्यों घट रही है प्रजनन दर?

इस वक्त हम जिस सवाल का सामना कर रहे हैं वो है कि प्रजनन दर क्यों घट रही है. इसकी वजह है महिलाओं का पढ़ा-लिखा होना. अब धीरे-धीरे महिलाएं पढ़-लिख रही हैं और वो साथ ही नौकरी कर रही हैं. इसी के चलते अब फैमिली प्लानिंग को भी महिलाओं ने महत्व देना शुरू कर दिया है।

1960 के समय में महिलाओं का अपने शरीर और जिंदगी पर कम नियंत्रण था. उन्हें इतनी आजादी नहीं थी कि वो अपनी मर्जी से अपने गर्भ को लेकर फैसले ले सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 में से 1 से भी कम ने किसी न किसी प्रकार के गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया।

समय के साथ महिलाओं ने पढ़ना शुरू किया, प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में सुधार हुआ और अधिक महिलाओं को उन निर्णयों में आवाज मिली जो उनके जीवन को प्रभावित करते थे. भारत में अब औसत महिला के लगभग दो बच्चे हैं. साथ ही कई महिलाएं नौकरी कर रही हैं और अपने करियर पर ध्यान देने के चलते वो कम बच्चे ही चाहती हैं।

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