केरल के कोझिकोड निवासी अब्दुल रहीम, जिनकी दर्दनाक कहानी ने पूरे भारत में सहानुभूति का सागर उमड़ा दिया था, आखिरकार अपने घर लौट सकेंगे. सऊदी अरब में एक विकलांग बच्चे की मौत के मामले में 19 साल से जेल की सजा काट रहे रहीम को रियाद की आपराधिक न्यायालय ने दिसंबर 2026 में रिहा करने का फैसला सुनाया है.उन्हें सार्वजनिक अधिकार कानून के तहत अपनी 20 साल की सजा पूरी करने के बाद रिहा किया जाएगा.
यह एक लंबी और पीड़ादायक यात्रा का अंत है, जिसकी शुरुआत 2006 में हुई थी, जब रहीम ड्राइवर वीजा पर सऊदी अरब गए थे. एक सऊदी परिवार ने उन्हें अपने 10 साल के विकलांग बच्चे के ड्राइवर और देखभाल करने वाले के रूप में नियुक्त किया था.
दुर्भाग्यवश, 2006 में ही एक विवाद के दौरान, अब्दुल की अनजाने में हुई एक गलती से बच्चे के गले की नली अपनी जगह से हट गई. जब तक स्थिति समझ में आती, बच्चा ऑक्सीजन की कमी के कारण बेहोश हो गया और अस्पताल ले जाने पर उसकी मृत्यु हो गई. बच्चे के परिवार ने अब्दुल को उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया और 2012 में उन्हें जेल में डाल दिया गया.
ब्लड मनी से मिली मौत की सजा से मुक्ति
इस मामले में कई सालों तक अदालती कार्यवाही चली, लेकिन बच्चे के परिवार ने अब्दुल को माफ करने से इनकार कर दिया. 2018 में, अब्दुल को अदालत ने मौत की सजा सुनाई, जिसे 2022 तक बरकरार रखा गया.
अब्दुल के पास इस मुश्किल परिस्थिति से निकलने के लिए दो विकल्प थे: या तो सिर कलम करवाकर मौत को गले लगाना, या 34 करोड़ रुपये की ब्लड मनी (दीया) देकर अपनी जान बचाना.
2026 में वतन वापसी का रास्ता साफ
हालांकि, रहीम की रिहाई में अभी भी देरी हो रही थी, क्योंकि सार्वजनिक कानून के तहत कार्यवाही अभी भी लंबित थी. पिछले नौ महीनों में इस मामले में 13 अदालती बैठकें हुईं. अंततः एक अदालती सत्र के दौरान अंतिम फैसला सुनाया गया, जिसमें रहीम, उनके कानूनी सलाहकार, भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि और रहीम के परिवार के प्रतिनिधि सिद्दीक तुव्वुर ने वर्चुअल रूप से भाग लिया.
अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि पहले से काटी गई कारावास की अवधि के अलावा कोई और सजा नहीं दी जाएगी, जिससे रहीम की 2026 के अंत तक रिहाई का रास्ता साफ हो गया.
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