भारत के लिए नई चुनौतियां और बदलता भू-राजनीतिक समीकरण
इस्लामाबाद: भारत के मित्र आर्मेनिया(Armenia) द्वारा पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बदलाव है। यह घटनाक्रम दशकों पुरानी स्थिति को बदलता है, जहाँ पाकिस्तान, अजरबैजान(Azerbaijan) के साथ अपनी निकटता के कारण आर्मेनिया को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता नहीं देता था। इस नए संबंध का भारत, रूस, तुर्की और ईरान जैसे देशों के लिए इस क्षेत्र में समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
राजनयिक संबंध की स्थापना
आर्मेनिया(Armenia) और पाकिस्तान(Pakistan) के विदेश मंत्रियों ने हाल ही में चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह कदम दोनों देशों के बीच दशकों में पहली उच्च-स्तरीय बातचीत के बाद उठाया गया।
पाकिस्तान का यह रुख अजरबैजान के प्रति उसके समर्थन और नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में अर्मेनिया के विरोधी होने के कारण था। हालाँकि, हाल के शांति समझौतों और बदलते क्षेत्रीय समीकरणों के कारण आर्मेनिया(Armenia) ने अपने संबंधों को सामान्य बनाने का फैसला किया है, जिसमें पाकिस्तान के साथ संबंध स्थापित करना भी शामिल है।
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव
आर्मेनिया(Armenia) और पाकिस्तान के बीच इस नए संबंध से दक्षिण काकेशस में शक्ति संतुलन बदल सकता है। यह कदम अमेरिका और तुर्की की मध्यस्थता से हुए हालिया शांति समझौते के बाद आया है, जिससे आर्मेनिया अजरबैजान और तुर्की के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है।
पाकिस्तान के साथ संबंध स्थापित करना इसी रणनीति का हिस्सा है। दूसरी ओर, चीन ने भी आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है, जिससे वह रूस को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया के रास्ते यूरोप तक पहुंच बना सकता है।
भारत के लिए निहितार्थ
भले ही एक अर्मेनियाई सूत्र ने बताया है कि इस नए संबंध का भारत-आर्मेनिया संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, पर यह भारत के लिए कुछ चिंताएं पैदा कर सकता है। भारत ने हमेशा कश्मीर मुद्दे पर आर्मेनिया का समर्थन किया है और उसे हथियार भी बेचे हैं।
हालाँकि, पाकिस्तान के साथ आर्मेनिया के संबंध स्थापित होने से भारत की इस क्षेत्र में भूमिका और रणनीतिक दृष्टिकोण पर असर पड़ सकता है। दक्षिण काकेशस में यह बदलती परिस्थिति, जिसमें चीन की बढ़ती भूमिका भी शामिल है, भारत को इस क्षेत्र में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
आर्मेनिया और पाकिस्तान ने राजनयिक संबंध क्यों स्थापित किए?
इनके बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक कदम है। यह दशकों की उस स्थिति को बदलता है जहाँ पाकिस्तान ने नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में अज़रबैजान के समर्थन के कारण आर्मेनिया(Armenia) को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी थी। हाल ही में हुए शांति समझौतों और क्षेत्रीय समीकरणों में बदलाव के कारण आर्मेनिया अपने पड़ोसी देशों, जैसे तुर्की और अज़रबैजान, के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के साथ संबंध स्थापित करना इसी व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
इस नए संबंध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भले ही एक अर्मेनियाई सूत्र ने यह कहा है कि इस नए संबंध का भारत-आर्मेनिया संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह घटनाक्रम भारत के लिए कुछ चिंताएं पैदा कर सकता है। भारत ने हमेशा कश्मीर मुद्दे पर आर्मेनिया का समर्थन किया है और उसे सैन्य सहायता भी दी है। पाकिस्तान के साथ आर्मेनिया का संबंध स्थापित होना, जिसमें चीन की बढ़ती भूमिका भी शामिल है, दक्षिण काकेशस में भारत के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है। यह भारत को इस क्षेत्र में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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