अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन (81) प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। यह कैंसर अंतिम चरण में पहुँच गया है और हड्डियों तक फैल चुका है। बाइडेन के कार्यालय ने रविवार रात एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
बयान के अनुसार, बाइडन को पिछले सप्ताह पेशाब करने में परेशानी हो रही थी। इसके बाद जब उनका कंप्लीट बॉडी चेकअप किया गया तो शुक्रवार को उन्हें हाई ग्रेड कैंसर होने का पता चला।
डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार, बाइडन की वर्तमान हालत हड्डियों में मेटास्टेसिस होने, यानी हड्डियों में कैंसर फैलने का संकेत देती है।
जो बाइडन की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, यह कैंसर हॉर्मोन सेंसिटिव है, जिससे प्रभावी उपचार संभव हो सकता है। त्वरित और सटीक इलाज से इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। फिलहाल बाइडेन और उनका परिवार डॉक्टरों से सलाह ले रहा है कि कैंसर के इलाज के लिए कौन सा तरीका बेहतर रहेगा।
सीएनएन के जेक टैपर और एक्सियोस के एलेक्स थॉम्पसन की एक नई किताब के अनुसार, जो बाइडन पिछले साल हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी बीमारी से जूझ रहे थे। हालाँकि तब तक कैंसर की पुष्टि नहीं हुई थी, लेकिन उनकी सेहत गिरने लगी थी।
बाइडन को कैसे लगी प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी?
चौंकाने वाली बात यह है कि 2015 में जो बाइडन के एक बेटे- ब्यू बाइडन की कैंसर के चलते ही मौत हो गई थी। बाइडन के लिए यह घटना इतनी दुख देने वाली रही कि कई वर्षों तक उन्होंने इस मुद्दे पर बात तक नहीं की। हालांकि, अब 10 वर्ष बाद वे खुद इससे पीड़ित हो गए हैं। बाइडन की टीम के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति को पिछले हफ्ते ही प्रोस्टेट में एक गांठ का पता चला, जिससे उनकी मूत्र संबंधी समस्याएं बढ़ गई थीं। जांच के आधार पर पता लगा कि उनकी बीमारी हड्डियों तक फैल गई है। हालांकि, भले ही यह बीमारी अधिक आक्रामक है, लेकिन यह हार्मोन-संवेदनशील भी है। इसका प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।
प्रोस्टेट नोड्यूल की खोज के बाद बाइडन के कई मेडिकल परीक्षण किए गए। परीक्षणों के दौरान ग्लीसन स्कोर 9 (ग्रेड ग्रुप 5) पाया गया। इससे बाइडन को उच्च श्रेणी का कैंसर होने की पुष्टि हुई। यह हड्डी में फैलने का यानी मेटास्टेसिस का संकेत देता है। उनका परिवार इलाज के तरीकों पर डॉक्टरों से परामर्श कर रहा है। बताया जाता है कि मेटास्टेसाइज्ड कैंसर (कई अंगों में फैले) कैंसर का इलाज लोकलाइज्ड (एक स्थान पर फैले) कैंसर के इलाज से मुश्किल होता है। क्योंकि लोकलाइज्ड कैंसर से उलट इसमें दवाओं का सभी ट्यूमर्स तक पहुंचना मुश्किल होता है, जिससे बीमारी को पूरी तरह खत्म करना भी समस्या बन जाता है।
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मेडिकल ओन्कोलॉजिस्ट ओटिस ब्रॉली के मुताबिक, अगर किसी का ग्लीसन स्कोर 6 है तो यह आमतौर पर दूसरे अंगों में फैलने लायक यानी मेटास्टैटिक नहीं होता। लेकिन अगर यह स्कोर 7, 8 या 9 या 10 आता है, तो यह मेटास्टैटिक हो सकता है। कोशिकाएं जितनी असामान्य होंगी, उनके दूसरी कोशिकाओं तक फैलने और घातक होने की उतनी ही ज्यादा आशंका होगी।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर का इलाज?
मैसाच्युसेट्स जनरल ब्रिघम कैंसर सेंटर के डॉ. मैथ्यू स्मिथ के मुताबिक, हाल के दशकों में प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में काफी सुधार हुआ है। इलाज के माध्यम से मरीज चार-पांच साल या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। स्मिथ ने कहा- इसका इलाज तो किया जा सकता है पर इसे ठीक नहीं किया जा सकता।
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए उन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो शरीर में हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करती हैं और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करती हैं। ज्यादातर पुरुषों का इलाज दवाओं से किया जा सकता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में रेडिएशन, सर्जरी और अन्य प्रकार के उपचार का इस्तेमाल किया जा सकता है।