तिरंगे का अपमान और PM मोदी के खिलाफ नारे
ओटावा: कनाडा(Canada) के ओटावा में रविवार को हुए खालिस्तानी जनमत संग्रह के दौरान भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय प्रतीकों का घोर अपमान किया गया। इस अवैध वोटिंग में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ को नीचे गिराकर अपमानित किया गया। यह घटना भारत के खिलाफ अलगाववादी तत्वों(Separatist Elements) की बढ़ती अशिष्टता को दर्शाती है। इससे पहले, मार्च 2024 में कैलगरी में खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने तलवारों और भालों से तिरंगे को काटा था, और अप्रैल 2025 में सरे में ध्वज को जमीन पर घसीटा गया था, जो दिखाता है कि यह अपमानजनक कृत्य एक दोहरावदार पैटर्न बन चुका है। जनमत संग्रह(Referendum) का आयोजन प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ)’ ने करवाया था, जिसका एकमात्र उद्देश्य पंजाब को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र देश ‘खालिस्तान’ बनाना है।
PM मोदी और भारतीय नेताओं के खिलाफ ‘मार डालो’ के नारे
वोटिंग स्थल मैकनैब कम्युनिटी सेंटर के बाहर, खालिस्तान समर्थकों ने भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य नेताओं के खिलाफ “मार डालो-मार डालो” जैसे हिंसक नारे लगाए। SFJ प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने विदेश से सैटेलाइट के जरिए लोगों को संबोधित किया और भारत के खिलाफ उकसाया। आयोजकों ने दावा किया कि कड़ाके की ठंड के बावजूद ओंटेरियो, अल्बर्टा, ब्रिटिश कोलंबिया और क्यूबेक प्रांतों से 53,000 से अधिक सिख वोट डालने आए, जिसमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। यह गैर-कानूनी गतिविधि स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और भारत की संप्रभुता पर हमले के समान है, जिसे भारत सरकार ने कड़ा विरोध किया है।
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ट्रेड डील की घोषणा के बीच कनाडा के PM पर सवाल
जनमत संग्रह के दिन ही कनाडाई(Canada) प्रधानमंत्री मार्क कार्नी दक्षिण अफ्रीका में G20 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे, जिसके बाद दोनों देशों ने दो साल के तनाव के बाद व्यापार समझौते के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का ऐलान किया। खालिस्तान समर्थकों ने कार्नी की मोदी से मुलाकात पर सवाल उठाए, जबकि कनाडा(Canada) की धरती पर भारत-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियाँ चरम पर थीं। इस ट्रेड डील का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 50 बिलियन डॉलर (₹4.45 लाख करोड़) तक ले जाना है, जिसमें क्रिटिकल मिनरल्स, प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी और न्यूक्लियर एनर्जी पर विशेष ध्यान रहेगा। कनाडाई PM कार्नी ने कहा कि यह समझौता व्यापार को 70 बिलियन कनाडाई डॉलर से अधिक तक ले जा सकता है, लेकिन इन कूटनीतिक और आर्थिक प्रगति के बीच कनाडा में भारत विरोधी तत्वों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता बनी हुई है।
कनाडा में हुए इस जनमत संग्रह का आयोजन किस संगठन ने करवाया था और इसका मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस अनौपचारिक और गैर-कानूनी जनमत संग्रह का आयोजन आतंकवादी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ)’ ने करवाया था। इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब को भारत से अलग करके एक नया स्वतंत्र देश ‘खालिस्तान’ बनाने के लिए समर्थन जुटाना था।
खालिस्तानी जनमत संग्रह वाले दिन, भारत और कनाडा ने किस महत्वपूर्ण समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करने का ऐलान किया?
जनमत संग्रह वाले दिन, G20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात में, दोनों देशों ने व्यापार समझौते के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का ऐलान किया। इस डील का लक्ष्य 2030 तक व्यापार को $50 बिलियन तक ले जाना है।
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