भारत में बिक रहे पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जा रहा है। जो नए वाहन बाजार में आ रहे हैं, उनमे साफ लिखा होता है कि यह इंजन 20 प्रतिशत इथेनॉल वाले पेट्रोल के हिसाब से तैयार किया गया है। इसके अलावा हैंड सेनेटाइजर (Hand Senetiser) में भी इथेनॉल का उपयोग होता है। अब भारत की चिंता का कारण वो रिपोर्ट बन सकती है जिसमें दावा किया गया है कि इथेनॉल वाले उत्पाद कैंसर को बढ़ावा दे रहे हैं।
यूरोप में इथेनॉल उत्पादों पर संभावित प्रतिबंध
यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा इथेनॉल-आधारित उत्पादों पर लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध की खबर ने भारत में चिंता पैदा कर दी है। यह कदम यूरोपीय केमिकल एजेंसी (ECHA) की उस रिपोर्ट के बाद उठाया गया है, जिसमें एथेनॉल में कैंसरकारी जोखिम की संभावना बताई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रतिबंध न केवल हैंड सैनिटाइजर और साफ-सफाई उत्पादों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत जैसे देशों में इथेनॉल ब्लेंडेड ईंधन की बढ़ती उपयोगिता पर भी सवाल खड़े कर सकता है।
रिपोर्ट में जताई गई बड़ी आशंका
रिपोर्ट के मुताबिक, इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल के जलने से एसिटाल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड जैसी जहरीली गैसें निकल सकती हैं, जो कैंसर से जुड़ी हैं। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इथेनॉल ईंधन स्वाभाविक रूप से अधिक हानिकारक नहीं है। यह प्रदूषकों के कुल मिश्रण पर निर्भर करता है और इथेनॉल अन्य जहरीले तत्वों को कम कर सकता है।
भारत की इथेनॉल नीति पर असर की आशंका
भारत सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति (20 प्रतिशत ब्लेंडिंग लक्ष्य) पर यह प्रतिबंध असर डाल सकता है, क्योंकि ईयू भारत का प्रमुख निर्यात बाजार है। कॉस्मेटिक उद्योग, खासकर इत्र और लोशन क्षेत्र में इथेनॉल का उपयोग प्रमुख है। यदि प्रतिबंध लगता है, तो यूरोपीय उत्पादकों को नुकसान होगा, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है।
भारतीय विशेषज्ञों की राय
भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य उपयोग में एथेनॉल से तत्काल कोई खतरा नहीं है। एथेनॉल का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे आम उपयोग हैंड सैनिटाइजर और अब ईंधन में मिश्रण के रूप में होता है। कोरोना महामारी के बाद से हैंड सैनिटाइजर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं।
ईसीएचए की चेतावनी और संभावित निर्णय
ईसीएचए के एक आंतरिक कार्य समूह ने 10 अक्टूबर को इथेनॉल को जहरीला पदार्थ घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसमें कैंसर का खतरा बढ़ने और गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं का उल्लेख किया गया है। ईयू की बायोसाइडल प्रोडक्ट्स कमिटी 25 से 27 नवंबर तक इस मुद्दे पर बैठक करेगी, जिसके बाद यूरोपीय आयोग अंतिम निर्णय लेगा।
इथेनॉल को ‘हानिकारक पदार्थ’ घोषित करने की प्रक्रिया
ईयू में इथेनॉल को कैंसरजन्य या प्रजनन के लिए जहरीला पदार्थ (REPROTOXIC) के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया 2000 से चल रही है। हालिया मूल्यांकन ने इसे नया मोड़ दिया है। ग्रीस द्वारा मार्च 2024 में जमा रिपोर्ट में इथेनॉल के हैंड सैनिटाइजर, सतह सफाई और खाद्य उद्योग में उपयोग की समीक्षा की गई थी।
विशेषज्ञों की सफाई और डब्ल्यूएचओ का रुख
अंतरराष्ट्रीय संस्था (IASDMP) ने कहा है कि यूरोपीय अध्ययन मुख्य रूप से अत्यधिक शराब सेवन पर आधारित है, न कि बाहरी उपयोग पर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अब भी इथेनॉल को हाथों की सफाई के लिए सुरक्षित मानता है। हालांकि, ईयू की सिफारिश ने बहस छेड़ दी है कि क्या लंबे समय तक इसके संपर्क से खतरा हो सकता है।
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