सम्मेलन भागीदारी पर कड़ा अमेरिकी रुख
वॉशिंगटन: अमेरिका(USA) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2026 में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका(South Africa) को न्योता भेजने से इंकार कर दिया है। ट्रंप का दावा है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार गोरे किसानों और यूरोपीय मूल के लोगों पर हो रहे हिंसक हमलों और जमीन कब्जाने की घटनाओं को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में मानवाधिकार हनन बढ़ रहा है और सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही। इस आरोप को दक्षिण अफ्रीका ने बार-बार सिरे से खारिज किया है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो अमेरिका न केवल सम्मेलन में भागीदारी रोकेगा, बल्कि दक्षिण अफ्रीका को मिलने वाले फंड और सब्सिडी भी बंद कर देगा। उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मंच पर जिम्मेदार सदस्य देशों को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
पहले भी जताई थी नाराज़गी
नवम्बर में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित G-20 बैठक में भी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अनुपस्थित रहा था। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि जिस तरह गोरी आबादी के लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं, वह सभ्यता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान भी दक्षिण अफ्रीका ने अमेरिकी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी को आयोजन से संबंधित जिम्मेदारी देने से मना कर दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
वहीं ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में लिखा कि दक्षिण अफ्रीका अपनी सदस्यता के योग्य आचरण नहीं कर रहा है, इसलिए 2026 G-20 सम्मेलन का निमंत्रण नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सम्मेलन की मेजबानी मियामी(Miami) में होगी, और अमेरिका नहीं चाहता कि ऐसे देश शामिल हों जो मानवाधिकारों को महत्व नहीं देते।
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बहिष्कार का प्रतीकात्मक असर
पिछले सप्ताह दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार G-20 की मेजबानी की थी, लेकिन अमेरिका ने भाग नहीं लिया। ट्रंप का कहना है कि बहिष्कार केवल विरोध नहीं, बल्कि मानवाधिकार सुरक्षा का संदेश भी है। अमेरिका ने शिखर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर भी नहीं किए, जिससे यह संकेत मिला कि नीति-स्तर पर मतभेद गहरे हो चुके हैं।
सम्मेलन में परंपरा होती है कि जी-20 अध्यक्षता संभालने वाले देश को प्रतीकात्मक लकड़ी का हथौड़ा सौंपा जाता है। बहिष्कार की वजह से दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा इसे अमेरिका को देने में असमर्थ रहे क्योंकि कोई अमेरिकी अधिकारी मौजूद ही नहीं था।
क्या G-20 से दक्षिण अफ्रीका को बाहर रखने का असर पड़ेगा
इस फैसले से दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय छवि और आर्थिक सहयोग योजनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है। वैश्विक निवेशक स्थिति को लेकर सतर्क रुख अपनाएंगे और व्यापारिक संबंधों में अस्थिरता बढ़ सकती है।
अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के रिश्तों का अगला कदम क्या हो सकता है
कूटनीतिक संवाद की संभावनाएं अभी भी मौजूद हैं, लेकिन टकराव कम करने के लिए दोनों देशों को पारदर्शी जांच और मानवाधिकार सुरक्षा पर ठोस कदम उठाने होंगे। वैश्विक आर्थिक ढांचे में सहयोग बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।
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