हांगकांग के ताई पो इलाके में स्थित वांग फुक कोर्ट आवासीय कॉम्प्लेक्स में लगी भीषण आग ने तबाही मचा दी है। यह आग पिछले तीन दिनों से तांडव मचा रही थी और अब तक कम से कम 94 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। आग पर अधिकांशत: काबू पा लिया गया है और अधिकारियों को उम्मीद है कि शुक्रवार तक सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन (Resque Operation) पूरा हो जाएगा। यह घटना हांगकांग (Hong Kong) में करीब 80 सालों की सबसे भयावह आग बताई जा रही है।
80 वर्षों में सबसे बड़ी त्रासदी
फायर अधिकारियों ने बताया कि यह आग पिछले कई दशकों की सबसे गंभीर घटना है। कई लोग अब भी लापता हैं और टीम लगातार उन्हें तलाशने में जुटी है। आग की भयावहता को देखते हुए मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
7 टावर आग की चपेट में आए
ताई पो के वांग फुक कोर्ट हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (Housing Complex) में आठ 32-मंजिला टावर हैं, जिनमें से सात इमारतें आग की चपेट में आ गईं। इस विशाल परिसर में 4,600 से अधिक लोग रहते हैं। बुधवार दोपहर लगी आग बांस के मचान और हरे जाल से ढकी इमारतों में तेजी से फैल गई।
निर्माण कंपनी के तीन अधिकारी गिरफ्तार
पुलिस ने हादसे के लिए जिम्मेदार लापरवाही के आरोप में प्रेस्टीज कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो डायरेक्टर और एक इंजीनियरिंग कंसल्टेंट को गिरफ्तार किया है। पुलिस का आरोप है कि खिड़कियों को ब्लॉक करने वाले ज्वलनशील फोम बोर्ड जैसे असुरक्षित सामग्री का उपयोग किया गया, जिसने आग को फैलने में गति दी।
सैकड़ों लोग अब भी लापता
हांगकांग फायर सर्विसेज के डिप्टी डायरेक्टर डेरेक चैन ने बताया कि उनकी टीमें सातों इमारतों की हर यूनिट में प्रवेश कर संभावित पीड़ितों की तलाश कर रही हैं। गुरुवार सुबह तक 279 लोग लापता बताए गए थे, हालांकि यह आंकड़ा 24 घंटे से अपडेट नहीं हुआ है।
फायर डिपार्टमेंट को मदद के लिए मिली 25 कॉल्स का भी अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
1948 के बाद सबसे भयावह हादसा
अधिकतर मृतक दो टावरों से मिले हैं, जबकि अन्य इमारतों से कुछ जीवित लोगों को भी बचाया गया है। हॉस्पिटल अथॉरिटी ने शुक्रवार सुबह बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 94 हो चुकी है। इससे पहले 1948 में एक वेयरहाउस आग में 176 लोगों की मौत हुई थी, जो हांगकांग का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है।
दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक
हांगकांग दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले महानगरों में शामिल है, जहां ऊंची इमारतों में हजारों लोग रहते हैं। यहां प्रॉपर्टी की ऊंची कीमतें और भीड़भाड़ लंबे समय से जन असंतोष का विषय रही हैं। यह त्रासदी शहर के प्रशासन और भवन सुरक्षा मानकों को लेकर नए सवाल खड़े कर रही है।
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