बीजिंग । दुनिया की एयरफोर्स ताकत की एक नई रैंकिंग में भारत (India) को तीसरा स्थान मिला है। भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और रूस (America and Russia) हैं, जबकि चीन चौथे स्थान पर खिसक गया है। इस रिपोर्ट को लेकर चीनी सरकारी मीडिया बौखला गया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ने चीनी विशेषज्ञ के हवाले से लिखा कि इस रैंकिंग को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
चीनी मीडिया ने दी सफाई, कहा कागजों की ताकत असली नहीं”
चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि केवल वास्तविक युद्ध क्षमता ही किसी सेना की असली ताकत बताती है,
कागज पर दिखाए गए आंकड़े नहीं। चीनी मीडिया ने लिखा कि भारतीय वायुसेना अपने विमान और उपकरण अमेरिका, रूस और अन्य देशों से खरीदती है, जो भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियों की जटिलता को दर्शाता है।
“भारतीय मीडिया चीन-भारत प्रतिस्पर्धा बढ़ा रहा”
चीनी विश्लेषक झांग (Jhang) ने कहा कि अमेरिकी और भारतीय मीडिया की यह हाइप चीन-भारत प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की कोशिश हो सकती है, जो गलतफहमी की खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है।
भारत के पास संतुलित बेड़ा और बेहतर ट्रेनिंग सिस्टम
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास कुल 1,716 एयरक्राफ्ट हैं ,जिनमें 31.6% फाइटर जेट्स, 29% हेलिकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं। भारत ने पायलट ट्रेनिंग, फ्लेक्सिबल डिप्लॉयमेंट और क्विक मिशन एक्जीक्यूशन पर खास ध्यान दिया है। इसी वजह से भारत की ऑपरेशन क्षमता चीन से कहीं अधिक मानी गई है।
चीन के पास संख्या अधिक, लेकिन क्षमता कम
वहीं, चीन के पास 3,733 एयरक्राफ्ट हैं ,जिनमें 68.7% फाइटर्स, 24.4% हेलिकॉप्टर और 10.7% ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं। हालांकि चीन के पास विमानों की संख्या अधिक है, लेकिन ट्रेनर और हेलिकॉप्टर की कमी उसकी ऑपरेशनल क्वालिटी को प्रभावित करती है।
भारत पांच प्वाइंट आगे, बदला एशिया का रणनीतिक संतुलन
किंग में चीन से 5 पॉइंट आगे रहकर भारत का ऊपर आना एशिया के रणनीतिक संतुलन में बदलाव का संकेत है। इस रैंकिंग में केवल विमानों की संख्या नहीं, बल्कि तकनीकी क्षमता, हथियार प्रणाली, बेड़े का संतुलन और ऑपरेशनल दक्षता जैसे कई कारकों को शामिल किया गया है।
कम विमानों के बावजूद तीसरे स्थान पर भारत
यह रैंकिंग बताती है कि किसी देश की वायुसेना की ताकत सिर्फ विमानों की संख्या पर नहीं, बल्कि
आधुनिक तकनीक, विविध ऑपरेशन क्षमता और संतुलित बेड़े पर निर्भर करती है। इसी वजह से भारत, चीन से कम विमानों के बावजूद, दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना बन गया है।
Read More :