एडवांस टेक्नोलॉजी साझा होगी, चाबहार पर प्रतिबंधों में रियायत मिली
नई दिल्ली/वॉशिंगटन: भारत(India) और अमेरिका ने शुक्रवार को 10 साल का नया रक्षा फ्रेमवर्क समझौता (डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट) किया है। इस ऐतिहासिक समझौते पर कुआलालंपुर(Kuala Lumpur) में ADMM-Plus (आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस) के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता अगले एक दशक तक दोनों देशों की सेनाओं, रक्षा उद्योगों और तकनीकी सहयोग को मजबूती देगा। समझौते का सबसे बड़ा पहलू यह है कि अमेरिका अब भारत(India) के साथ अपनी कुछ एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी (उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी) साझा करेगा। यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के साझा भरोसे और दृष्टिकोण को दर्शाती है।
समझौते से होने वाले 4 प्रमुख लाभ और अमेरिकी समर्थन
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस 10 वर्षीय समझौते से भारत(India) को चार बड़े फायदे होंगे। सबसे पहले, सैन्य सहयोग बढ़ेगा, जिसमें दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त ट्रेनिंग और सेनाभ्यास करेंगी। दूसरा, जॉइंट प्रोडक्शन (संयुक्त उत्पादन) के तहत मिलकर हथियार, रक्षा उपकरण और नई तकनीकें बनाई जाएंगी। तीसरा, अमेरिका द्वारा एडवांस टेक्नोलॉजी का साझाकरण किया जाएगा। और चौथा, दोनों देशों की सूचना और खुफिया एजेंसियां एक-दूसरे से सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करेंगी। इस समझौते के ठीक एक दिन पहले, अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए भारत को 6 महीने की प्रतिबंधों से रियायत दी है, जो अमेरिका के बदलते और मजबूत होते समर्थन को दिखाता है।
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ट्रेड डील और वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियाँ
यह रक्षा समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत और अमेरिका के अधिकारी एक व्यापार समझौते (ट्रेड डील) पर भी बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, व्यापारिक मोर्चे पर कुछ मतभेद हैं, जैसे अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर 50% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया हुआ है। भारत(India) के कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत(India) कोई भी समझौता जल्दबाजी में या अपने व्यापार को बाधित करने वाली शर्तों पर साइन नहीं करेगा, क्योंकि व्यापार केवल टैरिफ का नहीं, बल्कि विश्वास और लंबे रिश्ते का मामला है। इस बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से मुलाकात की, जहां उन्होंने ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में “सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू करने” और “ऊर्जा व्यापार पर बढ़ते दबाव” जैसी वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
भारत और अमेरिका के बीच नया 10 साल का रक्षा समझौता कहाँ और किनके बीच साइन हुआ है?
यह समझौता शुक्रवार, 31 अक्टूबर को कुआलालंपुर (मलेशिया) में ADMM-Plus बैठक के दौरान साइन हुआ। इस पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने दस्तखत किए।
इस नए डिफेंस एग्रीमेंट से भारत को टेक्नोलॉजी के संबंध में क्या मुख्य फायदा होगा, और व्यापारिक मोर्चे पर भारत की क्या स्थिति है?
इस समझौते के तहत अमेरिका भारत के साथ अपनी कुछ एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी (उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी) साझा करेगा, साथ ही दोनों देश मिलकर रक्षा उपकरण भी बनाएंगे। व्यापारिक मोर्चे पर, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी व्यापार समझौते पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेगा जब तक कि वह निष्पक्ष न हो और देश के व्यापार को बाधित न करे, भले ही रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया हो।
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