Breaking News: India-US: भारत-अमेरिका रिश्तों पर बड़ा बयान

By Dhanarekha | Updated: September 23, 2025 • 11:11 AM

जयशंकर-रुबियो की मुलाकात में अहम चर्चा

वॉशिंगटन: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर(S. Jaishankar) ने सोमवार को अमेरिका(India-US) के विदेश मंत्री मार्को रुबियो(Marco Rubio) से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के साथ संबंध अमेरिका के लिए “विशिष्ट महत्व” रखते हैं। दोनों देशों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे QUAD के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और सुरक्षित बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे

टैरिफ विवाद और वीजा पर असर

बैठक ऐसे समय में हुई है, जब भारत और अमेरिका(India-US) के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% तक का भारी टैरिफ लगाया है, साथ ही रूसी तेल पर 25% दंडात्मक शुल्क लगाया गया है। अमेरिका ने हाल ही में H1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 100000 डॉलर कर दिया है, जिसका सबसे अधिक असर भारतीय आईटी उद्योग पर पड़ने की संभावना है।

हालांकि, रणनीतिक रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत बना हुआ है। इसका प्रमाण क्वाड समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। इस समूह का लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।

बैठक की अहमियत और भविष्य की उम्मीदें

रुबियो ने व्यापार, ऊर्जा, दवा उद्योग और महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़े मुद्दों पर भारत की भूमिका की सराहना की। बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बातचीत सकारात्मक रही और सतत संवाद की आवश्यकता पर सहमति बनी। उन्होंने इस मुलाकात को “अच्छी” बताया और कहा कि दोनों पक्ष संपर्क में रहेंगे।

खास बात यह रही कि रुबियो की दिन की पहली द्विपक्षीय बैठक भारतीय विदेश मंत्री के साथ ही थी। सम्मेलन कक्ष को दोनों देशों के झंडों और फूलों से सजाया गया था, जो इस रिश्ते की गर्मजोशी का प्रतीक रहा।

भारत और अमेरिका(India-US) के बीच टैरिफ विवाद क्यों बढ़ा?

भारत पर अमेरिकी प्रशासन ने 50% का टैरिफ लगाया है, जिसमें रूसी तेल पर अतिरिक्त 25% शुल्क शामिल है। इसका कारण अमेरिका की व्यापार नीति और रूस से भारत की ऊर्जा खरीद को लेकर मतभेद बताया जा रहा है।

जयशंकर और रुबियो की बैठक से क्या संदेश मिला?

इस मुलाकात ने संकेत दिया कि मतभेदों के बावजूद दोनों देश रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं। QUAD और व्यापारिक सहयोग जैसे मुद्दों पर सहमति से भविष्य में संबंध और गहरे हो सकते हैं।

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