बताया ‘दोषी और भगोड़ी’
ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार(Interim Government) ने देश के सभी मीडिया संस्थानों (प्रिंट, टीवी और ऑनलाइन) को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बयानों को प्रकाशित करने या प्रसारित करने से रोकने के लिए सख्त चेतावनी जारी की है। नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (NCSA) ने एक प्रेस रिलीज में हसीना को ‘दोषी और भगोड़ी’ करार दिया है। सरकार ने तर्क दिया है कि उनके बयानों से देश में हिंसा भड़क सकती है, अशांति फैल सकती है और सामाजिक भाईचारा टूट सकता है, जो साइबर सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन है। यह कदम हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के मामले में मौत की सज़ा सुनाए जाने के तुरंत बाद आया है।
ICT द्वारा मौत की सज़ा और अवामी लीग का राष्ट्रव्यापी बंद
शेख हसीना को जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड पाए जाने के बाद ICT ने मौत की सज़ा सुनाई है। उन्हें 5 मामलों में दोषी पाया गया है, जबकि अन्य में उम्रकैद की सजा मिली है। ICT के इस फैसले के खिलाफ हसीना की बैन हो चुकी पार्टी अवामी लीग ने आज (18 नवंबर) देशभर में बंद (हड़ताल) का आह्वान किया है। अवामी लीग ने इस फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक बदला करार दिया है और अंतरिम सरकार(Interim Government) के मुखिया मोहम्मद यूनुस से तुरंत इस्तीफे की मांग की है। पार्टी नेताओं ने यह आरोप भी लगाया है कि मुकदमे की प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं, जैसे कि कम समय में सुनवाई पूरी करना और मुख्य जज की अनुपस्थिति के बावजूद फैसला सुनाया जाना।
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भारत की प्रतिक्रिया और ट्रिब्यूनल की पृष्ठभूमि
शेख हसीना को सज़ा सुनाए जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि भारत ने इस फैसले को संज्ञान में लिया है। भारत ने बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है और कहा है कि वह सभी पक्षों के साथ रचनात्मक बातचीत जारी रखेगा। इस बीच, अंतरिम पीएम मोहम्मद यूनुस ने भारत से हसीना को डिपोर्ट (प्रत्यर्पित) करने की मांग की है। यह गौरतलब है कि जिस इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हसीना को मौत की सज़ा सुनाई है, उसकी स्थापना 2010 में उन्होंने ही की थी, जिसका उद्देश्य 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए वॉर क्राइम्स के अपराधियों पर मुकदमा चलाना था।
अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के बयानों के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए क्या तर्क दिया है?
अंतरिम सरकार(Interim Government) ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए हसीना के बयानों के प्रकाशन पर रोक लगाई है। उनका तर्क है कि चूंकि हसीना अब ‘दोषी और भगोड़ी’ करार दी जा चुकी हैं, इसलिए उनके बयानों से देश में हिंसा, अशांति और सामाजिक भाईचारा टूटने का खतरा है, जो साइबर सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन माना जाता है।
शेख हसीना को मौत की सज़ा किस आधार पर सुनाई गई है, और उनके साथ और किसे सज़ा मिली है?
शेख हसीना को जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं के लिए हत्या का आदेश देने और उकसाने के लिए ICT द्वारा मौत की सज़ा सुनाई गई है। उनके साथ, दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं का दोषी मानते हुए फांसी की सज़ा सुनाई गई है, जबकि पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल जेल की सज़ा मिली है।
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