भारत सरकार ने वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाली ब्रिटिश-कश्मीरी प्रोफेसर डॉ. निताशा कौल (Natasha Kaul) की OCI (Overseas Citizenship of India) रद्द कर दी है। यह कदम उनके कथित भारत विरोधी गतिविधियों के चलते उठाया गया है। प्रोफेसर कौल ने खुद सोशल मीडिया पर इस निर्णय की जानकारी साझा की और इसे “प्रतिशोधात्मक” करार दिया।
कौन हैं निताशा कौल?
- निताशा कौल लंदन स्थित University of Westminster में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर हैं।
- वह ‘Centre for the Study of Democracy’ की डायरेक्टर भी हैं।
- कश्मीर, मानवाधिकार और लोकतंत्र जैसे विषयों पर उनके लेख और भाषण कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चित रहे हैं।
भारत सरकार ने क्यों रद्द की OCI?
Natasha Kaul: प्रोफेसर कौल को भेजे गए सरकारी पत्र के मुताबिक:
- उन्होंने भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाए
- उनके सोशल मीडिया पोस्ट, भाषण और लेख “दुर्भावना से प्रेरित” थे
- उन्होंने भारतीय संविधान और संस्थाओं के विरुद्ध बात की
- यह सब OCI नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है
भारत का कानून कहता है कि अगर कोई प्रवासी भारतीय भारत की अखंडता, सुरक्षा या संविधान के विरुद्ध काम करता है तो उसकी OCI रद्द की जा सकती है।
क्या है पूरा विवाद?
- फरवरी 2024 में बेंगलुरु में एक सम्मेलन में उन्हें हिन्दुस्थान में प्रवेश नहीं दिया गया था।
- इस पर उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी थी और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आक्रमण कहा था।
- अब मई 2025 में भारत सरकार ने उनका OCI रद्द कर दिया, जिसके बाद उन्होंने इस निर्णय को “आलोचना की आज़ादी पर हमला” कहा ।
प्रोफेसर कौल की प्रतिक्रिया
- उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “हमें अंदर से या बाहर से भारत की नीतियों की आलोचना करने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए – यही संदेश दिया जा रहा है।”
- उन्होंने इसे “अंतरराष्ट्रीय दमन का क्रूर उदाहरण” कहा
यह भी दावा किया कि उन्हें अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों पर रिसर्च करने की वजह से दंडित किया गया है।