Breaking News: Neil Anand: फर्जीवाड़े में पकड़े गए भारतीय मूल के डॉक्टर

By Dhanarekha | Updated: September 27, 2025 • 9:25 AM

धोखाधड़ी और नशीली दवाओं का बड़ा मामला

वॉशिंगटन: अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टर नील के. आनंद(Neil Anand) को स्वास्थ्य सेवा फर्जीवाड़ा और बीमा धोखाधड़ी का दोषी पाए जाने पर 14 साल की कैद हुई है। पेंसिल्वेनिया(Pennsylvania) निवासी आनंद ने मरीजों को अनावश्यक नशीली दवाइयां दीं और फर्जी बीमा क्लेम कर करोड़ों डॉलर ठग लिए। न्याय विभाग ने बताया कि उन्हें 20 लाख डॉलर से अधिक का जुर्माना और जब्ती का आदेश भी दिया गया है

बीमा एजेंसियों से ठगी और फर्जी क्लेम

जांच में सामने आया कि डॉ. आनंद(Neil Anand) पहले से हस्ताक्षरित खाली पर्चियां रखते थे, जिन पर बिना लाइसेंस वाले इंटर्न नशीली दवाइयां लिखते थे। उन्होंने मेडिकेयर(Medicare), ओपीएम, इंडिपेंडेंस ब्लू क्रॉस और एंथम जैसी एजेंसियों से फर्जी दावों के जरिए 24 लाख डॉलर की ठगी की।

इस साल अप्रैल में अदालत ने आनंद को दोषी करार दिया था। उनके स्वामित्व वाली विभिन्न फार्मेसियों से मरीजों को बिना किसी चिकित्सीय उद्देश्य के दवाइयां उपलब्ध कराई जाती थीं। इसके अलावा न्याय विभाग ने स्पष्ट किया कि आनंद को 20 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति और अतिरिक्त 20 लाख डॉलर से अधिक की जब्ती करनी होगी।

मरीजों को नशीली दवाइयां और धन छिपाने की चाल

जांच में पता चला कि आनंद ने मरीजों को तोहफों का लालच देकर ऑक्सीकोडोन जैसी खतरनाक दवा भी बांटी। यह दवा सामान्यत: असहनीय दर्द के उपचार में दी जाती है, लेकिन आनंद ने इसे बिना चिकित्सीय जरूरत के उपलब्ध कराया।

जब उन्हें जांच की भनक लगी तो उन्होंने लगभग 12 लाख डॉलर को रिश्तेदारों के नाम पर खातों में स्थानांतरित कर दिया। दस्तावेजों के अनुसार, उन्होंने नौ मरीजों के लिए 20,850 ऑक्सीकोडोन गोलियां लिखीं, जिससे गंभीर दुरुपयोग की आशंका और बढ़ गई।

डॉ. नील आनंद को सजा क्यों सुनाई गई?

डॉ. आनंद(Neil Anand) पर आरोप था कि उन्होंने मरीजों को अनावश्यक नशीली दवाइयां दीं और बीमा एजेंसियों से फर्जी दावे कर करोड़ों डॉलर ठगे। अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए 14 साल की कैद और भारी जुर्माना लगाया।

ऑक्सीकोडोन दवा को लेकर मामला क्यों गंभीर है?

ऑक्सीकोडोन एक अत्यधिक नशीली दर्द निवारक दवा है, जिसका गलत उपयोग लत और स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है। डॉक्टर द्वारा इसे गैर-जरूरी तौर पर बांटना चिकित्सा नैतिकता और कानून दोनों का उल्लंघन है।

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