Breaking News: Pakistan: इस्लामाबाद में बवाल, सेना की साजिश बेनकाब

By Dhanarekha | Updated: October 11, 2025 • 8:32 PM

टीएलपी के प्रदर्शन से पाकिस्तान में तनाव

इस्लामाबाद: पाकिस्तान(Pakistan) एक बार फिर अराजकता के दौर से गुजर रहा है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान(TLP) के हिंसक प्रदर्शनों ने इस्लामाबादऔर लाहौर(Lahore) को जकड़ लिया है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़पों में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पंद्रह से अधिक घायल हैं। फिलिस्तीन के समर्थन में शुरू हुआ यह प्रदर्शन अब पाकिस्तानी राजधानी को किले में तब्दील कर चुका है

पाक सेना के इशारे पर चल रहा संगठन

टीएलपी को पाकिस्तानी(Pakistan) सेना का “पिट्ठू” कहा जाता है, क्योंकि यह संगठन अक्सर सेना के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय होता है। शुक्रवार को लाहौर में हुए प्रदर्शन के बाद जब टीएलपी समर्थक इस्लामाबाद की ओर मार्च करने लगे, तो प्रशासन को राजधानी की सड़कों को कंटेनरों से बंद करना पड़ा। इंटरनेट सेवाएं ठप हैं और सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

संगठन की उत्पत्ति और विचारधारा

टीएलपी की स्थापना 2015 में खादिम हुसैन रिजवी ने बरेलवी सुन्नी विचारधारा पर की थी। यह संगठन 2017 में इस्लामाबाद की 21 दिनों की घेराबंदी के बाद चर्चा में आया था। दिसंबर 2020 में इसने फ्रांस के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किए और पाकिस्तान से फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने की मांग की। अप्रैल 2021 में इसे प्रतिबंधित किया गया, पर कुछ महीनों बाद पाक सेना के दबाव में यह बैन हटा लिया गया।

राजनीतिक मोहरा और सेना की भूमिका

मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आजाकिया के अनुसार, पाकिस्तानी(Pakistan) सेना टीएलपी को घरेलू राजनीति में हेरफेर करने के लिए प्रयोग करती रही है। अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि 2017 के प्रदर्शनों को सेना ने तब समाप्त करवाया जब उसने नवाज शरीफ सरकार से टीएलपी का समझौता कराया। बाद में एक वीडियो में एक सैन्य अधिकारी प्रदर्शनकारियों को पैसे बांटते दिखा था।

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इमरान खान के लिए रास्ता और फिर विरोध

रिपोर्टों के मुताबिक, 2018 के चुनावों में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को कमजोर करने और इमरान खान की पीटीआई को फायदा पहुंचाने के लिए टीएलपी का इस्तेमाल किया गया। किंतु जब इमरान खान का सेना प्रमुख असीम मुनीर से टकराव हुआ, तो टीएलपी ने फिर से सड़कों पर उतरकर उनके खिलाफ माहौल बनाया। इसके परिणामस्वरूप देश में अस्थिरता फैली और इमरान खान की सरकार गिर गई।

टीएलपी के प्रदर्शनों से पाकिस्तान में क्या हालात हैं?

इस्लामाबाद और लाहौर में हिंसक झड़पों के बाद प्रशासन ने राजधानी की सीमाएं सील कर दी हैं। कई जगह इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और लोगों में भय का माहौल है।

पाकिस्तानी सेना का टीएलपी से क्या संबंध है?

टीएलपी को पाकिस्तानी सेना का राजनीतिक औजार माना जाता है, जिसे सरकारों पर दबाव बनाने और राजनीतिक समीकरण बदलने के लिए सक्रिय किया जाता है। कई रिपोर्टों में इसके सबूत भी सामने आ चुके हैं।

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