Latest Hindi News : सोमालिया को डकैती रोकने के गुर देगा पाकिस्तान

By Anuj Kumar | Updated: September 30, 2025 • 12:42 PM

इस्लामाबाद । समुद्री डकैती के लिए सोमालिया पूरी दुनिया में विख्यात है। करीब 18 साल पहले इन समुद्री डकैतों ने पूरे विश्व के लिए संकट खड़ा कर दिया था। जब हदें पार हुई तो 2017 में कई देशों ने मिलकर सोमालिया (Somaliya) के समुद्री लुटेरों पर लगाम लगाने के प्रयास शुरू किए।

पाकिस्तान देगा सोमालिया को डकैती से बचने की ट्रेनिंग

लेकिन अब पाकिस्तान इसी सोमालिया को समुद्री डकैतों से बचने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है। दुनिया में समुद्री डकैती के लिए कुख्यात सोमालिया को अब समुद्री डकैती से रोकने के गुर सिखाएगा पाकिस्तान। इसके अलावा, एंटी-टेररिज़्म ऑपरेशन्स (Operations) में भी सोमालिया को दक्ष बनाएगा।

तकनीकी सहायता और नौसैनिक सहयोग

पाकिस्तानी नेवी, सोमाली नौसेना को तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग भी देगी। इसके अलावा, सोमाली नेवी के जहाज़ों के रखरखाव में भी पाकिस्तान मदद करेगा। नई नौसैनिक यूनिट की स्थापना और समुद्री गश्ती ऑपरेशन्स में भी पाकिस्तानी नेवी शामिल होगी।

चीन की मौजूदगी और रणनीतिक असर

अब पाकिस्तान की नौसेना को चीन ही नई शक्ल दे रहा है। वॉरशिप (Warship) से लेकर सबमरीन तक सभी “मेड इन चाइना” हैं। ऐसे में ग्लोबल ट्रेड रूट के पास पाकिस्तान की शक्ल में चीन की एक और मौजूदगी भी सामने आ सकती है।

रेड सी और अदन की खाड़ी में डकैती का खतरा

अब पाकिस्तान की एंट्री के बाद रेड सी से अदन की खाड़ी में प्रवेश करते ही व्यापारिक जहाज़ों पर डकैती का ख़तरा बढ़ जाता है। यह इलाका दुनिया का सबसे बड़ा पायरेसी ज़ोन माना जाता है।

व्यापारिक मार्गों और रणनीतिक महत्व

दुनिया का सारा आम ट्रेड और एनर्जी ट्रेड इसी इलाके से होकर गुजरता है। यूरोप की ओर जाने वाला एनर्जी ट्रेड ओमान की खाड़ी से होता हुआ अदन की खाड़ी और फिर रेड सी के रास्ते स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर तक पहुंचता है। वहीं, पूर्व की ओर जाने वाले मर्चेंट वेसल्स, रेड सी से होते हुए अदन की खाड़ी, अरब सागर और फिर आगे की ओर निकलते हैं।

सोमालिया-पाकिस्तान रक्षा समझौता

सोमालिया की कैबिनेट ने इसी साल अगस्त में पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग पर एक और समझौता ज्ञापन पर दस्तखत करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत पाकिस्तान, सोमाली आर्म्ड फोर्स को ट्रेनिंग देगा। इसमें बुनियादी सैनिक प्रशिक्षण से लेकर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, स्टाफ ड्यूटी और अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों की ट्रेनिंग शामिल होगी।

पांच साल तक प्रभावी रहेगा समझौता

चुने गए सोमाली अफसरों को पाकिस्तान के स्टाफ और वार कॉलेजों में भेजा जाएगा। यह करार लागू होने के दिन से अगले पाँच साल तक प्रभावी रहेगा। इस समझौते के तहत एक ज्वाइंट डिफेंस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा।

चीन और अफ्रीका में रणनीतिक समीकरण

चीन ने अफ्रीका में अपने रणनीतिक हितों के तहत साल 2017 में जिबूती में अपना पहला ओवरसीज़ मिलिट्री बेस स्थापित किया था। यह इलाका इतना अहम है कि यहां दुनिया के दो धुर-विरोधी अमेरिका और चीन दोनों के मिलिट्री बेस मौजूद हैं। चीन, अफ्रीकी देशों को सस्ते लोन और कम कीमत पर एयरक्राफ्ट, एम्युनिशन, आर्टिलरी गन, मिसाइल, रडार और रॉकेट सिस्टम दे रहा है। अब ठीक इससे सटे सोमालिया में पाकिस्तान अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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