हाल ही में इजरायल (Israel) और फलस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच चल रही तनातनी को लेकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक नया विवाद सामने आया है। इस बार विवाद की जड़ बना है फ्रांस और अमेरिका के बीच का तनाव, जिसके केंद्र में हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समधी जेर्ड कुशनर।
कुशनर, जो ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप के पति और उनके वरिष्ठ सलाहकार रह चुके हैं, ने हाल ही में फ्रांस को एक पत्र भेजकर इजरायल-हमास मुद्दे पर फ्रांस की नीतियों की आलोचना की। इस पत्र ने न केवल कूटनीतिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि फ्रांस और अमेरिका के बीच तनाव को भी बढ़ा दिया।
क्या है वजह ?
सूत्रों के अनुसार, जेर्ड कुशनर ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने फ्रांस की मध्यस्थता और गाजा में युद्धविराम की कोशिशों पर सवाल उठाए। कुशनर ने पत्र में दावा किया कि फ्रांस की नीतियां इजरायल के प्रति पक्षपातपूर्ण हैं और वह हमास के साथ नरम रुख अपनाकर इजरायल की सुरक्षा को कमजोर कर रहा है।
यह पत्र तब सामने आया जब फ्रांस ने गाजा में तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता की मांग की थी, जिसे इजरायल ने ठुकरा दिया था। कुशनर, जो ट्रंप प्रशासन के दौरान इजरायल-फलस्तीन शांति समझौते ‘अब्राहम एकॉर्ड’ के प्रमुख रणनीतिकार थे, ने फ्रांस की इस पहल को “अनुचित हस्तक्षेप” करार दिया।
इस पत्र की भाषा को कूटनीतिक मानदंडों के लिए असामान्य रूप से तीखा माना गया। फ्रांस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे “अमेरिकी हस्तक्षेप” का उदाहरण बताया। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम इजरायल और फलस्तीनियों के बीच शांति के लिए काम कर रहे हैं। किसी भी पक्ष से इस तरह के पत्र हमारी नीतियों को प्रभावित नहीं करेंगे।” यह विवाद तब और गहरा गया जब फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में गाजा में युद्धविराम के लिए प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे अमेरिका ने वीटो कर दिया।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छेड़ दी। कुछ एक्स यूजर्स ने कुशनर के पत्र का समर्थन करते हुए लिखा, “फ्रांस को इजरायल के खिलाफ पक्षपात बंद करना चाहिए। कुशनर ने सही मुद्दा उठाया।” वहीं, अन्य यूजर्स ने फ्रांस का बचाव करते हुए कहा, “कुशनर को कूटनीति की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। फ्रांस मानवीय आधार पर काम कर रहा है।” एक यूजर ने लिखा, “ट्रंप के समधी अब भी अमेरिकी विदेश नीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, यह चिंताजनक है।”
अमेरिका-फ्रांस संबंधों पर असर
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका और फ्रांस के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर मतभेद हैं, जैसे कि यूक्रेन संकट और व्यापार नीतियां। कुशनर का पत्र, हालांकि निजी हैसियत से लिखा गया, लेकिन उनकी ट्रंप परिवार से नजदीकी और पूर्व प्रशासन में उनकी भूमिका ने इसे एक कूटनीतिक मुद्दा बना दिया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह पत्र 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप के समर्थकों को लामबंद करने की कोशिश हो सकती है, जो इजरायल समर्थक नीतियों को प्राथमिकता देते हैं।
फ्रांस ने इस पत्र को आधिकारिक तौर पर खारिज करते हुए कहा कि वह अपनी नीतियों में किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह पत्र ट्रंप के प्रभाव का हिस्सा है या कुशनर की व्यक्तिगत राय।
जेर्ड कुशनर का फ्रांस को लिखा पत्र इजरायल-हमास संघर्ष के संदर्भ में एक नया कूटनीतिक विवाद बन गया है। यह न केवल अमेरिका और फ्रांस के बीच तनाव को उजागर करता है, बल्कि मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया की जटिलताओं को भी रेखांकित करता है। इस पत्र ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या निजी व्यक्ति कूटनीति को प्रभावित कर सकते हैं और क्या यह विवाद दोनों देशों के संबंधों को लंबे समय तक प्रभावित करेगा। फिलहाल, वैश्विक समुदाय की नजर इस बात पर है कि फ्रांस और अमेरिका इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं और क्या यह मध्य पूर्व में शांति की कोशिशों को प्रभावित करेगा।