डोनाल्ड ट्रंप, दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद, अपनी पहली बड़ी विदेश प्रस्थान पर खाड़ी देशों की ओर निकले हैं। इस प्रयाण का उद्देश्य न सिर्फ रणनीतिक संबंधों को दृढ़ करना है, बल्कि अमेरिका और सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे प्रमुख देशों के बीच निवेश, सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के सहयोग को नई दिशा देना भी है।
सऊदी अरब: सुरक्षा के बदले अरबों डॉलर का निवेश
ट्रंप की प्रस्थान का पहला पड़ाव सऊदी अरब रहा, जहां दोनों देशों ने 142 अरब डॉलर के हथियार सौदे पर दस्तख़त किए। सऊदी क्राउन प्रिंस ने अमेरिका में 1 ट्रिलियन डॉलर तक निवेश की संभावना जताई।
सऊदी की प्राथमिकता अमेरिका से दीर्घकालिक संरक्षणा प्रतिबद्धता प्राप्त करना है, जिससे खाड़ी में उसका वर्चस्व कायम रह सके।
टेक्नोलॉजी में अगुआ बनने की तैयारी
संयुक्त अरब अमीरात अपने तेल-आधारित अर्थतंत्र को विविधतापूर्ण बनाकर AI और एडवांस टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहा है। अगले 10 सालो में UAE 1.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करेगा।
UAE के राष्ट्रपति सलाहकार अनवर गर्गश के अनुसार, “AI में अग्रणी बनने का यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है।”
इस उद्देश्य के लिए उन्हें अमेरिका की माइक्रोचिप्स और टेक्निकल सपोर्ट की आवश्यकता है।
अमेरिका से रणनीतिक सुरक्षा और मध्यस्थता की भूमिका
मध्य पूर्व में अमेरिका (America) का सबसे बड़ा सैन्य बेस कतर में ही है। कतर ने अमेरिकी प्रशासन से सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटवाने का आग्रह किया, जो ट्रंप ने मान भी लिया।
कतर खुद को अफगानिस्तान, गाजा और यूक्रेन जैसे संकटों में एक विश्वसनीय मध्यस्थ (mediator) के रूप में कायम करना चाहता है।