Latest Hindi News : Japan-जापान में चीनी पर्यटक की हरकत पर बवाल, लोगों में भारी नाराज़गी

By Anuj Kumar | Updated: December 5, 2025 • 10:38 AM

टोक्यो । हाल ही में एक चीनी पर्यटक (Chinese Tourist) की हरकत ने जापान (Japan) में भारी आक्रोश पैदा कर दिया। यह घटना टोक्यो के प्रसिद्ध सेंसोजी मंदिर में घटी, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में स्थापित दानपात्र में श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार पैसा डालते हैं और इसके बाद भाग्य बताने वाली ‘ओमिकुजी’ छड़ी निकालते हैं, जिसे जापानी संस्कृति में शुभ-अशुभ का प्रतीक माना जाता है।

दानपात्र में ‘हेल मनी’ डालने पर विवाद भड़का

मंदिर के अंदर मौजूद एक चीनी युवक ने दानपात्र में पैसे डालने की बजाय ‘हेल मनी’ डाल दी, जिसे आसपास मौजूद लोगों ने जापानी परंपरा का अपमान बताया। घटना कैमरे में कैद हुई और सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो गई। वीडियो में युवक का साथी उसे यह कहते सुना गया कि वह “धोखा दे रहा है”, जबकि युवक इस हरकत को मजाक बताता रहा।

ओमिकुजी छड़ी पर टिप्पणी से बढ़ा आक्रोश

इसके बाद युवक ओमिकुजी की छड़ी चुनता है और कागज निकालने से पहले कहता है कि “जापानी शुभ-अशुभ बताने वाली छड़ियाँ चीनी लोगों को आशीर्वाद नहीं देतीं, आशीर्वाद के लिए चीनियों का अपना तरीका होता है।” उसके इस कथन ने विवाद को और तीखा कर दिया।

‘हेल मनी’ को अशुभ माना जाता है

रिपोर्टों के अनुसार, श्रद्धालु दानपात्र में सामान्यतः 100 येन डालते हैं, जबकि ‘हेल मनी’ वास्तविक मुद्रा नहीं होती। चीनी परंपरा में यह मृतकों की आत्मा को परलोक में बेहतर जीवन देने के लिए जलाए जाने वाली प्रतीकात्मक राशि होती है। इसे अशुभ माना जाता है और घर या यात्रा में रखना अपशकुन माना जाता है। इसी वजह से जापानी लोगों ने इसे धार्मिक स्थल के प्रति अनादर बताया। वीडियो में मौजूद युवक का दोस्त भी उसे टोकते हुए कहता है कि वह “शैतानों को धोखा दे रहा है।”

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने भी भड़काया मामला

गौरतलब है कि चीन में ‘शैतान’ शब्द कई बार उन जापानी सैनिकों के लिए इस्तेमाल होता है जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में अत्याचार किए थे। इस ऐतिहासिक कटुता के कारण दोनों देशों के बीच भावनात्मक तनाव अक्सर सतह पर आ जाता है।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ

इस घटना ने जापानी सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएँ जन्म दी हैं। कई यूजर्स ने इसे जानबूझकर किया गया अपमान बताया, जबकि कुछ का कहना है कि यह धार्मिक स्थल की पवित्रता के खिलाफ असंवेदनशील व्यवहार है। चीन और जापान के दशकों पुराने तनावपूर्ण रिश्ते आज भी लोगों के व्यवहार और प्रतिक्रियाओं में झलकते हैं।

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