ईरान अमेरिका परमाणु डील: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। ओमान में होने वाली संभावित वार्ता से पहले ही सतर्कता का दौर आरंभ हो गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर वार्ता निष्फल हुई, तो सैन्य कार्रवाई को नकारा नहीं जा सकता।
वहीं ईरान ने भी दो टूक कह दिया है कि यदि उस पर बाहरी परेशानी बढ़ा, तो वह संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों को देश से बाहर कर सकता है।
ओमान में होने वाली वार्ता और उसके मायने
ओमान में होने वाली इस वार्ता का उद्देश्य है – यह समझना कि क्या ईरान एक स्थायी समाधान के लिए प्रस्तुत है या नहीं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह एक प्रारंभिक बातचीत है, कोई फाइनल सुलह नहीं।
ईरान अमेरिका परमाणु डील: अंतरिम समझौते का प्रस्ताव
ईरान वार्ता के दौरान अमेरिका को यह परिचर्चा दे सकता है कि स्थायी करार से पहले एक अंतरिम परमाणु करार किया जाए। यह रिपोर्ट यूरोपीय राजनयिक सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
ट्रंप की धमकी और इजरायल की संभावित भूमिका
ट्रंप ने कहा कि अगर ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची और अमेरिकी प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ के बीच वार्ता असफल रहती है, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई में इजरायल की अहम भूमिका होगी।
निरीक्षकों को निकालने की धमकी

ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार अली शमखानी ने कहा है कि बढ़ते बाहरी खतरे के चलते ईरान IAEA के जांचक को निकालने पर विचार कर सकता है और यूरेनियम संपन्नता की प्रक्रिया को छुपे हुए स्थानों पर स्थानांतरित कर सकता है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिका की विदेश मंत्रालय ने ईरान की चेतावनी को खतरनाक बताया है। उन्होंने कहा कि जो देश शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम का दावा करता है, वह जांचक को निकालने की चेतावनी क्यों दे रहा है?
बातचीत या टकराव – समय तय करेगा दिशा
ईरान और अमेरिका के बीच की यह वार्ता मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए निर्णयात्मक साबित हो सकती है। अगर कूटनीतिक रास्ता असफल होता है, तो क्षेत्र में सैन्य खिंचाव और बढ़ सकता है।