ISRO का मंगलयान-2 मिशन: लैंडिंग की योजना आई सामने.

By digital@vaartha.com | Updated: April 12, 2025 • 6:08 AM

ISRO का मंगलयान-2 मिशन: अब पता चला मंगल ग्रह पर उतरने की योजना कैसे बना रहा है भारत

भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO (इसरो) अब एक और बड़ी छलांग की तैयारी कर रहा है। मंगलयान-2 (Mars Orbiter Mission-2) को लेकर नई जानकारी सामने आई है कि कैसे ISRO अब सीधे मंगल ग्रह की सतह पर लैंडिंग की योजना बना रहा है।

जहां मंगलयान-1 (2013) केवल एक ऑर्बिटर मिशन था, वहीं मंगलयान-2 पूरी तरह से नया और चुनौतीपूर्ण मिशन होगा — जिसमें लैंडर और संभवतः एक रोवर भी शामिल होगा।

मंगलयान-1 से आगे बढ़ता भारत

ISRO ने 2013 में मंगल ग्रह पर पहला कदम रखा था। मंगलयान-1 एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने न केवल वैज्ञानिक डेटा दिया बल्कि भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल किया जिनके स्पेसक्राफ्ट पहली कोशिश में ही मंगल तक पहुंचे।

अब इसरो का लक्ष्य सिर्फ ऑर्बिट में रहना नहीं है, बल्कि मंगल की धरती को छूना है।

ISRO का मंगलयान-2 मिशन: लैंडिंग की योजना आई सामने.

मंगलयान-2 की प्रमुख विशेषताएं

  1. लैंडर मिशन:
    ISRO इस बार ऐसा यान भेजना चाहता है जो मंगल ग्रह की सतह पर उतरे।
  2. स्वदेशी तकनीक का उपयोग:
    इसमें इस्तेमाल की जाने वाली ज़्यादातर तकनीक भारत में विकसित की जाएगी।
  3. संभावित रोवर शामिल:
    अगर योजना सफल रही, तो एक छोटा रोवर भी लैंडर के साथ भेजा जा सकता है जो सतह का विश्लेषण करेगा।
  4. नया लैंडिंग सिस्टम:
    इसरो इस बार एक उन्नत लैंडिंग तकनीक पर काम कर रहा है, जो चंद्रयान-3 की सफलता से प्रेरित होगी।

योजना कैसे बन रही है?

ISRO इस बार लैंडिंग के लिए कम गुरुत्वाकर्षण, सही तापमान और स्थिर इलाके की तलाश कर रहा है। इसके लिए वैज्ञानिक NASA और ESA जैसे अंतरिक्ष संगठनों के डाटा का भी अध्ययन कर रहे हैं।

मुख्य चरण:

कौन-कौन से उपकरण होंगे शामिल?

ISRO ने संकेत दिए हैं कि इस मिशन में ये प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण हो सकते हैं:

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मिशन कब होगा लॉन्च?

अभी तक ISRO ने सटीक लॉन्च तारीख का ऐलान नहीं किया है, लेकिन अनुमान है कि यह मिशन 2026 या 2028 तक लॉन्च हो सकता है। फिलहाल मिशन प्री-डिज़ाइन और मूल्यांकन फेज़ में है।

भारत के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण?

मंगलयान-2 केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के लिए आत्मनिर्भर अंतरिक्ष क्रांति की अगली सीढ़ी है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत मंगल की सतह पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। ISRO की यह योजना न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण भी बनेगी।

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