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ITR: आईटीआर डेडलाइन बढ़ने की अटकलें तेज

Dhanarekha
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ITR: आईटीआर डेडलाइन बढ़ने की अटकलें तेज

15 सितंबर की तारीख पर टिकी निगाहें

नई दिल्‍ली: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स(ITR) डिपार्टमेंट की तय 15 सितंबर की समयसीमा नजदीक है, लेकिन अभी तक लाखों करदाता अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं। विभिन्न व्यापार और पेशेवर संगठनों ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से डेडलाइन बढ़ाने का अनुरोध किया है। इस बीच तकनीकी दिक्कतें और पोर्टल की धीमी गति ने अटकलों को और बढ़ा दिया है

फाइलिंग में सुस्ती और शिकायतें

7 सितंबर तक 13.35 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं में से केवल 4.89 करोड़ आईटीआर दाखिल हुए थे। इनमें से 4.63 करोड़ का वेरिफिकेशन हो चुका है जबकि 3.35 करोड़ ही प्रोसेस किए गए हैं। यह समयसीमा उन व्यक्तिगत करदाताओं पर लागू होती है जिन्हें खातों के ऑडिट की आवश्यकता नहीं होती। कई निकायों का कहना है कि सॉफ्टवेयर देर से जारी हुआ और नियमों का पालन करना इस बार बेहद कठिन साबित हो रहा है।

फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री(FKCCI) और सीएएएस ने शिकायत की है कि इनकम टैक्स पोर्टल में लगातार तकनीकी रुकावटें आ रही हैं। साथ ही, बंबई चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी ने भी सीबीडीटी को पत्र लिखकर टैक्स ऑडिट और ट्रांसफर प्राइसिंग सहित फाइलिंग की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की है।

तकनीकी गड़बड़ियां और मुख्य समस्याएं

टैक्स(ITR) बार एसोसिएशन, भीलवाड़ा(Bhilwara) ने आरोप लगाया है कि वार्षिक सूचना विवरण, टैक्स(ITR) सूचना विवरण और फॉर्म 26AS में कई त्रुटियां हैं। उनके अनुसार, गलत वित्तीय डेटा की वजह से करदाताओं को आईटीआर फाइल करने में बाधा हो रही है। इसके अतिरिक्त, पोर्टल लॉग-इन में मुश्किलें आती हैं और अधिक उपयोग के समय यह अपने आप बंद हो जाता है।

चंडीगढ़ और गुजरात के समूहों ने भी बताया कि सॉफ्टवेयर देर से आने की वजह से करदाताओं को पर्याप्त तैयारी का समय नहीं मिला। वित्तीय डेटा की गड़बड़ियां, नए नियमों के तहत अतिरिक्त कागजी काम और पोर्टल की धीमी गति करदाताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

क्या सरकार आईटीआर की समयसीमा बढ़ा सकती है?

विभिन्न संस्थाओं की मांग और तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि सीबीडीटी समयसीमा पर पुनर्विचार कर सकता है। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

करदाताओं को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है?

इस बार सॉफ्टवेयर देर से उपलब्ध हुआ, जिससे तैयारी में दिक्कत हुई। साथ ही, AIS और TIS जैसे फॉर्म में गड़बड़ियां, नए नियमों के चलते ज्यादा दस्तावेजों की जरूरत और पोर्टल की तकनीकी समस्याएं करदाताओं को परेशान कर रही हैं।

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