विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोमवार (7 अप्रैल 2025) को फोन पर बातचीत की। यह बातचीत उस समय हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर “प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क” (reciprocal tariffs) लगाने का ऐलान किया, जिसमें भारत से आयात होने वाले सभी सामानों पर 26% शुल्क लगाया गया है।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से दुनियाभर के बाजारों में हलचल
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से दुनियाभर के बाजारों में हलचल मच गई है। भारत और अमेरिका के बीच जो द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) की बातचीत चल रही है, उसे तेजी से आगे बढ़ाने पर जयशंकर और रुबियो ने सहमति जताई।
पहले से तय 10% का “बेस-लाइन” शुल्क 5 अप्रैल को लागू हो चुका है, और बाकी 16% शुल्क 9 अप्रैल से लागू होगा। इस वजह से सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 3% से ज्यादा टूट गए।
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर लिखा, “अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो से बात करके अच्छा लगा। हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने के महत्व पर सहमति जताई। संपर्क में बने रहने की उम्मीद है।”
अमेरिकी टैरिफ का जवाबी कदम नहीं उठाया है भारत
भारत और अमेरिका के व्यापार अधिकारियों ने 26-29 मार्च को दिल्ली में इस समझौते पर बातचीत की थी और वार्ता के मुख्य बिंदुओं को तय कर लिया गया था।
भारत ने अब तक अमेरिकी टैरिफ का जवाबी कदम नहीं उठाया है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत इस साल इस समझौते का पहला हिस्सा पूरा करने पर ध्यान दे रहा है, ताकि अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ को कम कराया जा सके और अमेरिकी बाजार में भारत के लिए रास्ता खोला जा सके।
अमेरिकी वित्त मंत्री ने भी यह चेतावनी दी है कि जिन देशों पर शुल्क लगाया गया है, वे जवाबी शुल्क न लगाएं। उन्होंने कहा, “मेरी सलाह है कि आप पलटवार न करें। अगर पलटवार करेंगे तो स्थिति बिगड़ेगी, अगर नहीं करेंगे तो यहीं पर रुक जाएगा।”

7 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर भी 50% अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी, अगर चीन ने अपने टैरिफ में 34% की वृद्धि का फैसला वापस नहीं लिया। इस ऐलान के बाद वैश्विक बाजार में और भी घबराहट फैल गई।
जयशंकर ने यह भी बताया कि उन्होंने और रुबियो ने इंडो-पैसिफिक, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया और कैरिबियन क्षेत्रों पर भी चर्चा की, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
फोन कॉल पर अब तक न तो अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो और न ही अमेरिकी विदेश विभाग ने कोई टिप्पणी की है। इससे पहले 28 मार्च को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अमेरिकी उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ के बीच भी द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई थी। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज इस महीने दिल्ली में एनएसए अजीत डोभाल से भी मुलाकात करने वाले हैं।