कारावास सुधार अधिपत्र पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की आपत्ति

मौलाना महमूद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी ने कारावास सुधार अधिपत्र पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की विरोध पर कड़ी जवाब दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव असंवैधानिक है और मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। उनका इलज़ाम है कि सरकार अपने सांख्यिकीय बहुमत के आधार पर इसे जबरन पारित कराने का प्रयास कर रही है, जो प्रजातंत्रीय मूल्यों के खिलाफ है।मौलाना मदनी के अनुसार, यह विधेयक बहुमतवादी मानसिकता पर आधारित है और इसका उद्देश्य अल्पमत के अधिकारों को सीमित करना है। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ नकारात्मक रुख का परिचायक बताया और कहा कि इस प्रस्ताव को जिस तरीके से पेश किया गया है, वह संदेह पैदा करता है। उन्होंने इस पद का प्रतिरोध करते हुए कहा कि यह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।

मौलाना महमूद: कारावास सुधार अधिपत्र पर विरोध जारी

मौलाना महमूद असअद मदनी ने कहा कि पुराने विधि में सुधार की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने ऐसे सुधारना पेश किए हैं जो कठिनाई को हल करने के बजाय और अधिक जटिल बना रहे हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि हम इसे पूरी तरह नामंजूर करते हैं और इसके विरोध अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

लोकसभा में आज वक्फ विधेयक पर बातचीत हो रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने सांसदों को पार्टी चाबुक जारी कर सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधान लिपि को पेश किया और चर्चा के लिए 8 घंटे का समय स्थिर किया गया है। हालांकि, सरकार ने संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। इस बिल को लेकर मुस्लिम समाज में प्रतिपक्ष जारी है, और अलग-अलग राजनीतिक दलों की इस पर अलग-अलग जवाब सामने आ रही हैं।

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