काठमांडू, 9 सितंबर 2025 — नेपाल (Nepal) की राजधानी और कई प्रमुख शहर अब भी उबाल पर हैं। सोशल मीडिया (Social Media) बैन हटने के बावजूद, युवाओं का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। प्रदर्शनकारी अब सीधे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं।
सोशल मीडिया बैन हटाया, पर जनता का गुस्सा बरकरार
4 सितंबर को लगाए गए 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन को सरकार ने वापस ले लिया है। लेकिन युवाओं का कहना है कि यह सिर्फ़ सतही कदम है। उनका आरोप है कि सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा है और अब समय आ गया है कि सत्ता पूरी तरह से जवाबदेह बने।
प्रदर्शनकारियों की नई मांगें
- बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार खत्म हो।
- सरकार पारदर्शी और जवाबदेह बने।
- सत्ता में वंशवाद और ‘नेपो बेबीज़’ की पकड़ ढीली हो।
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली तुरंत इस्तीफ़ा दें।
मंत्रियों के इस्तीफ़े और सत्ता पर संकट
अब तक गृह मंत्री, कृषि मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं। इससे साफ संकेत है कि सरकार के भीतर भी दबाव लगातार बढ़ रहा है। संसद भवन और नेताओं के घरों पर हमले के बाद हालात और बिगड़े हैं।
केपी शर्मा ओली दुबई जाने की तैयारी में?
नेपाल की सियासी गलियारों में चर्चा है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली हालात बिगड़ने और इस्तीफ़े की मांग तेज़ होने के बीच दुबई जाने की तैयारी में हैं। विपक्ष का आरोप है कि ओली सत्ता से भागने की फिराक़ में हैं, जबकि उनके समर्थक इसे निजी यात्रा बता रहे हैं। लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच यह खबर और भी गुस्सा भड़का रही है। उनका कहना है कि “देश जल रहा है और प्रधानमंत्री विदेश भागने की सोच रहे हैं।”

नेपाल किस राह पर?
यह स्पष्ट हो चुका है कि यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया की आज़ादी का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से मोहभंग का परिणाम है। युवाओं ने साफ़ कर दिया है कि जब तक असली सुधार और नई राजनीतिक दिशा नहीं मिलेगी, यह आग बुझने वाली नहीं।
नेपाल आज एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहाँ युवाओं का गुस्सा सत्ता की नींव हिला सकता है। यदि ओली सचमुच दुबई जाते हैं, तो यह केवल उनकी राजनीतिक साख ही नहीं बल्कि नेपाल के लोकतांत्रिक ढांचे पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगा।