भारत और मिडिल ईस्ट में धर्मों का जन्म ने विश्व के बड़े धर्मों को जन्म दिया — हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी, ईसाई और इस्लाम। यह संयोग नहीं, बल्कि इन स्थान की गहन आध्यात्मिक तलाश, दार्शनिक बहस, और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन का परिणाम है।
इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक विविधता, धार्मिक सहिष्णुता और सोच की आज़ादी ने नए धार्मिक संघर्ष को जन्म दिया।
इंडिया में जन्मे चार प्रमुख धर्म
हिंदू धर्म दुनिया का अत्यंत पुराना जीवित धर्म है। इसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती हैं। वेद, उपनिषद, और पुराणों पर आधारित यह धर्म आत्मा, मोक्ष और कर्म में विश्वास रखता है।
भारत और मिडिल ईस्ट में धर्मों का जन्म: बौद्ध धर्म – ज्ञान का मार्ग
गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म, ध्यान, नैतिकता और निर्वाण की सीख देता है। यह धर्म भारत से पूरे एशिया में प्रसारित।
जैन धर्म – अहिंसा और तपस्या की राह
महावीर स्वामी द्वारा प्रचारित जैन धर्म कर्म, पुनर्जन्म और शांतिवाद पर आधारित है। यह आज भी हिन्दुस्तानी संस्कृति का अभिन्न अंग है।
सिख धर्म – समन्वय और समानता का प्रतीक
गुरु नानक देव जी द्वारा प्रतिष्ठित सिख धर्म, हिंदू और इस्लामिक तत्वों का समन्वय है। एकेश्वरवाद, समानता और सेवा इसका आधार है।
मिडिल ईस्ट में जन्मे तीन अब्राहमिक धर्म
यहूदी धर्म एकेश्वरवादी है और इसकी आरंभ पैगंबर अब्राहम से मानी जाती है। यह धर्म इजरायल में केंद्रित है और मूर्ति पूजा को अस्वीकार मानता है।
ईसाई धर्म – यीशु मसीह का संदेश
यीशु मसीह द्वारा प्रचारित ईसाई धर्म यहूदी पारंपरिक से निकला है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है और इसका प्रधान ग्रंथ बाइबल है।

इस्लाम – समर्पण का मार्ग
इस्लाम धर्म की नींव पैगंबर मुहम्मद ने 7वीं सदी में रखी। कुरान इसकी आधारशिला है और इसके अनुयायी दुनिया भर में फैले हैं।
धर्मों का उद्गम—संयोग नहीं, सभ्यता की पराकाष्ठा
इंडिया और मिडिल ईस्ट के अंचल की आध्यात्मिक गहराई और सामाजिक बदलाव ने उन्हें धर्मों की मातृभूमि बना दिया। ये प्रदेश आज भी विश्व आध्यात्मिक चेतना के केंद्र बने हुए हैं।